Saturday, May 14, 2011

मुमिआ अबू-जमाल पर नोम चोम्स्की के विचार


हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि इस मामले का महत्व प्रतीकात्मक रूप में काफ़ी व्यापक है. सारी दुनिया में अमेरिका उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां अभी भी मृत्युदण्ड का प्रावधान है. मैं उन देशों का उल्लेख भी नहीं करना चाहता जो इस मामले में अमेरिका का अनुसरण करते हैं. अनेक कारणों में से यह भी एक कारण है जिसकी वजह से यूरोप किसी अभियुक्त का अमेरिका को प्रत्यार्पण नहीं करता. अमेरिका की जेल प्रणाली विशुद्ध रूप से वर्गीय और नस्लगत युद्ध पर आधारित है. यहां वर्ग और नस्ल एक दूसरे के साथ इस तरह जुड़े हुए हैं कि उन्हें अलग करना मुश्किल है.

लोगों को बन्दी बनाने का आन्दोलन "अनावश्यक" लोगों से छुटकारा पाने का नव उदारवादी कार्यक्रम का हिस्सा है. १९८० के बाद से यहां की जेलों की आबादी पर गौर करें. पहले यह लगभग उतनी ही थी जितनी अन्य औद्योगिक देशों में हुआ करती थी. अब यह उन देशों से पांच से दस गुना ज़्यादा है. क्लिंटन के शासनकाल में इसमें लगहग पचास प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ. मुमिआ अबू-जमाल तथा अन्य कैदी उस तरह के लोगों की श्रेणी में आते हैं जिन्हें कोलम्बिया जैसे अमेरिका परस्त देशों में "सामाजिक सफ़ाया अभियान" के तहत समाप्त कर दिया जाता है. उनसे छुटकारा पा लिया जाता है. गरीबी से ग्रस्त लोगों (जिनमें बड़ी संख्या कालों की है) के एक उल्लेखनीय हिस्से को समाप्त कर दिया जाता है. इसके साथ अगर बेरोजगारों की संख्या को जोड़ दें तो अमेरिका की बेरोज़गारी दर में अच्छी ख़ासी कमी आ जाएगी.. इन सारी नीतियों का ताल्लुक वर्ग और नस्ल पर आधारित युद्ध से है. मुमिआ अबू-जमाल का मामला महज़ एक उदाहरण है. वैसे तो यह एक महत्वपूर्ण मसला है ले४किन यह काफ़ी हद तक अमेरिका के लिए सामान्य परिघटना है.

(समकालीन तीसरी दुनिया के सितम्बर २०१० अंक से साभार.)

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