Friday, August 5, 2011

क्या कभी नहीं मिटेगी समय की भूख?


पीयर पाओलो पासोलोनी (मार्च ५ १९२२ - नवम्वर १६, १९७५) इटली की सबसे बहुमुखी प्रतिभाओं में थे. वे फ़िल्म निर्देशक, कवि, लेखक, दार्शनिक, भाषाविद, स्तम्भकार, चित्रकार और राजनैतिक कार्यकर्ता थे. ऐसी अद्वितीय सांस्कृतिक योग्यताओं से भरपूर पासोलिनी अपने समय के सबसे विवादास्पद लोगों में भी थे.’

पासोलिनी की एक कविता आप को इस लिए पढ़ा रहा हूं कि "इल पोस्तिनो" फ़िल्म के नायक और मेरे प्रियतम अभिनेताओं में से एक मासीमो त्रोइसी ने एकाधिक साक्षात्कारों में पासोलिनी को अपना पसन्दीदा कवि बताया था. आज पासोलिनी की कविता की एक झलक. लम्बी पोस्ट शीघ्र -


चुराए गए दिन

हम जो निर्धन हैं, बहुत कम वक़्त होता है हमारे पास
यौवन और सौन्दर्य के लिए
वैसे आप लोगों का काम हमारे बग़ैर भी चल सकता है.

ग़ुलाम बना देता है हमारा जन्म हमें!
तितलियां जिनका सारा सौन्दर्य नोच लिया
और दफ़ना दिया गया समय की कोष में

धनवान कोई हरज़ाना नहीं देते हमारे समय का
सौन्दर्य से चुराए गए वे दिन
जो हमारे थे और हमारे पुरखों के

क्या कभी नहीं मिटेगी समय की भूख?

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