संगीतकार जयदेव के संगीतबद्ध किए गए आशा भोसले की गाई जयशंकर प्रसाद रचित "तुमुल कोलाहल" कुछ दिन पहले आप ने सुना था.आज इसी अल्बम से एक और रचना. कविता महादेवी वर्मा जी की है -
कैसे उनको पाऊँ आलि
कैसे उनको पाऊँ
वे आँसू बनकर मेरे
इस कारण ढुल-ढुल जाते
इन पलकों के बन्धन में मैं
बाँध-बाँध पछताऊँ
वे तारक बालाओं की
अपलक चितवन बन जाते
जिस में उनकी छाया भी मैं
छू न सकूँ, अकुलाऊँ
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