Tuesday, February 14, 2012

इस के खिलाफ होने वाले विरोध को हम आत्मा कहते हैं


कुछ भी नहीं है तोहफ़े के बतौर

विस्वावा शिम्बोर्स्का

कुछ भी नहीं मिला है तोहफ़े के बतौर, सब उधार लिया हुआ है
मैं अपने कानों तक ऋण में डूब रही हूँ
मुझे खुद का भुगतान करना है
खुद को चूका कर
अपना जीवन देना है अपने जीवन के बदले

ज़रा देखिये क्या है यहाँ की व्यवस्था –
दिल पर पाया जा सकता है दुबारा से हक़
और जिगर पर भी
और हरेक उंगली और अंगूठे पर

इन शर्तों को फाड़ डालने के लिए अब देर हो चुकी है
मेरे ऋण चुकाए जायेंगे
और मुझे लूटा जाएगा
या, ज्यादा साफ़ कहूँ – मेरी खाल उतार ली जायेगी.

मैं घूमती रहती हूँ इस नक्षत्र पर
कर्जदारों की भीड़ के बीच
कुछ पर अपने पंखों को चुकाने के
बोझ की जीन कसी हुई है
बाकियों को हरेक पत्ती का हिसाब देना होगा
हर हाल में

हमारा हरेक ऊतक
उधार के हिसाब में चढा हुआ है
एक भी स्पर्शिका या तंतु
हम नहीं रख सकते
अपने इस्तेमाल के लिए

अनंत विवरणों से भरी सूची
का मतलब यह हुआ कि हम
सिर्फ खाली हाथ ही नहीं
बगैर हाथों के रह जायेंगे आखिर में.

मुझे याद नहीं पड़ता
कहाँ, कब और क्यों
मैंने किसी को
अपने नाम का यह खाता खोलने दिया था.

इस के खिलाफ होने वाले विरोध को
हम आत्मा कहते हैं
और सिर्फ यही एक चीज़ है
जो इस सूची में शुमार नहीं.

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