टाइम पत्रिका ने ब्राजील के मौरीसियो लीमा को उनकी अफगानिस्तान से भेजी फोटो-रिपोर्ताजों के लिए वर्ष २०१० के “वायर फोटोग्राफर ऑफ़ द ईयर” सम्मान से नवाजा. फ्रांस की समाचार एजेंसी ए.एफ.पी. से जुड़े लीमा ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के साथ चार हफ्ते का समय गुजरने के साथ ही वहाँ की सामाजिक स्थितियों को अपनी पैनी निगाह से पकड़ा.
सैन्य और नागरिक – दो अलग-अलग तरह के जीवनों की छवियों को पकड़ने में हुए अनुभवों को याद करते हुए लीमा कहते हैं – “इस दौरान मैंने अलग-अलग वर्गों के बीच मानसिक श्रेणियाँ बना सकने में सफलता पाई. इन श्रेणियों के अंतर्गत मैंने जो तस्वीरें खींचीं वे एक खास इंट्यूशन के तहत ली गयी थीं. एक फोटो के लिए देखते रहना और इंतज़ार करना – ये दो काम ही मैं करता रहा. इस के लिए लगातार मशक्कत और धैर्य की ज़रूरत होती है. और उस क्षण को दबोच सकने में कामयाब होने के लिए चुस्त-फुर्त रहना.” आज देखिये उनकी खींची तस्वीरों की पहली खेप –
अमरीकी सैनिकों द्वारा बंदी बनाए गए इस व्यक्ति की यह तस्वीर तमाम अखबारों के मुख्पन्नों पर जगह बना चुकी है
अफगानिस्तान में एक लोकप्रिय खेल है बाज़कशी. घोड़ों पर सवार लोग ज़मीन पर से किसी बकरी या बछड़े की सिरविहीन लाश को अपने अधिकार में करने की होड़ करते हैं.
हेरोइन का नशा
नशेड़ी
अफगानिस्तान राष्ट्रीय सेना का सैनिक
टैटू
पोर्ट्रेट
कॉम्बैट आउटपोस्ट
बंदी
हॉउस-टू-हॉउस सर्च
सैन्य और नागरिक – दो अलग-अलग तरह के जीवनों की छवियों को पकड़ने में हुए अनुभवों को याद करते हुए लीमा कहते हैं – “इस दौरान मैंने अलग-अलग वर्गों के बीच मानसिक श्रेणियाँ बना सकने में सफलता पाई. इन श्रेणियों के अंतर्गत मैंने जो तस्वीरें खींचीं वे एक खास इंट्यूशन के तहत ली गयी थीं. एक फोटो के लिए देखते रहना और इंतज़ार करना – ये दो काम ही मैं करता रहा. इस के लिए लगातार मशक्कत और धैर्य की ज़रूरत होती है. और उस क्षण को दबोच सकने में कामयाब होने के लिए चुस्त-फुर्त रहना.” आज देखिये उनकी खींची तस्वीरों की पहली खेप –
No comments:
Post a Comment