सुशोभित सक्तावत के लेखों की सीरीज़ में आज दूसरा लेख जॉर्ज हैरिसन पर.
कनटोपे सरीखी हेयरस्टाइल, एलग्रेको की तस्वीरों से झांकता हुआ-सा लंबोतर चेहरा, क्षितिज के उस तरफ ताकती पनीली आंखें, दुबली-छरहरी देह। वह बीटल्स का लीड गिटारिस्ट था, लेकिन अपने तीनों साथियों की तुलना में संकोची, मितभाषी, गैरराजनीतिक व अधिभौतिक रुझानों वाला।
शायद इसीलिए उसे ‘क्वाइटेस्ट ऑफ द क्वाट्र्रेट’ कहते थे। जब जॉन लेनॅन बीटल्स की तूफानी कामयाबी की डींगें हांक रहे थे, तब उसने कहा था इतनी लोकप्रियता मुझे उदास कर देती है। वह स्टेज की चकाचौंध में एक गुमसुम-सा गिटारिस्ट था। उसका नाम था जॉर्ज हैरिसन।
१९६० में जब वह बीटल्स से जुड़ा, तब उसकी उम्र महज 17 बरस थी। वह सबसे कमउम्र बीटल था। उस समय परिदृश्य में जिमी हेंड्रिक्स, चक बेरी, कीथ रिचर्डस, एरिक क्लैपटन जैसे धांसू रॉक गिटारिस्ट मौजूद थे। अमूमन यही स्थिति बीटल्स की गैंग में भी थी।
पॉल मैकार्टनी बीटल्स का लीड सिंगर और चॉकलेटी पोस्टर बॉय था। जॉन लेनॅन उनका प्रमुख सांगराइटर
और एक्टिविस्ट था। रिंगो स्टार धुरंधर ड्रमर था। इनके बीच हैरिसन बरसों तक एक ‘छुटकू’ की भूमिका निभाता रहा, लेकिन लेनॅन-मैकार्टनी ने शायद यह भुला दिया था कि एक रॉक बैंड में लीड गिटार ही सही मायनों में लीड वोकल होता है।
जब हैरिसन ने गिटार बजाना शुरू किया, तब एल्विस प्रेस्ले के रॉक-एन-रोल का फैशन था, लेकिन उसने अपने आदर्श कार्ल पर्किसन की प्लकिंग स्टाइल से कभी दामन नहीं छुड़ाया। उसके बाद जिमी हेंड्रिक्स ने गिटार को एम्प्लीफायर से जोड़कर रॉक संगीत के साउंड में उथल-पुथल मचा दी, लेकिन हैरिसन ने कोमल स्वराघातों के सौंदर्यशास्त्र को हमेशा याद रखा।
गिटार को वह इस कदर बजाता, जैसे बारिश की डोरियां सहला रहा हो। जब उसने ‘व्हाइल माय गिटार जेंटली वीप्स’ लिखा, तब जाकर एहसास हुआ कि उसकी गिटार का गला भी रुंधा-रुंधा रहता था और उसकी स्ट्रिंग्स पर बारिश की बूंदें फिसलती रहती थीं।
रिकॉर्डिग स्टूडियो में बैठा वह लिवरपूल की कंट्रीसाइड के बारे में सोचता रहता। कंट्री म्यूजिक उसे रास आता था। बॉब डिलन के बैलेड उसे लुभाते थे। भारत की वैष्णवता उसे खींचती थी। बीटलमैनिया के उन दिनों में वह इकलौता बीटल था, जो अपनी जगह पर अनमना था।
‘रबर सोल’ एल्बम के गीत ‘नॉर्वेजियन वुड’ में उसने गिटार और सितार का फ्यूजन कर एक नई जमीन तोड़ी। यह माधुर्य अब तक कभी सुना नहीं गया था। ‘व्हाइल माय गिटार जेंटली वीप्स’ के लिए उसने खुद एक आला दर्जे का गिटारिस्ट होने के बावजूद एरिक क्लैपटन से गिटार बजवाई।
‘विदिन यू विदाउट यू’ में उसने तमाम हदें पार करते हुए तबले-तानपूरे बजवा दिए। वह रॉक संगीत की परिभाषाएं बदल रहा था। १९७१ में जब उसने रवि शंकर के साथ कंसर्ट किया तो वह अपने समय का बहुत बड़ा क्रॉस कल्चरल इवेंट था।
1969 में उसने अपना पहला नंबर वन सिंगल लिखा : ‘समथिंग’। कुछ ने कहा यह ईश्वर को समर्पित गीत है, कुछ ने कहा यह उसने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा है, लेकिन हैरिसन ने कहा यह गीत लिखते समय उसके मन में रे चार्ल्स थे : एक अश्वेत नेत्रहीन गायक, जिन्होंने सोल व कंट्री संगीत को अकल्पनीय ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया था।
‘समथिंग’ के लिए हैरिसन ने लिखा : ‘यू नो आई बिलीव, एंड हाऊ’। जिन दिनों म्यूजिक इंडस्ट्री में बीटल्स अपनी बौद्धिकता, कटुता और अप्रत्याशित हरकतों के लिए जाने जाते थे, तब हैरिसन इकलौता ऐसा था, जो भरोसा करना जानता था। लेकिन किस पर? शायद, समथिंग...
कनटोपे सरीखी हेयरस्टाइल, एलग्रेको की तस्वीरों से झांकता हुआ-सा लंबोतर चेहरा, क्षितिज के उस तरफ ताकती पनीली आंखें, दुबली-छरहरी देह। वह बीटल्स का लीड गिटारिस्ट था, लेकिन अपने तीनों साथियों की तुलना में संकोची, मितभाषी, गैरराजनीतिक व अधिभौतिक रुझानों वाला।
शायद इसीलिए उसे ‘क्वाइटेस्ट ऑफ द क्वाट्र्रेट’ कहते थे। जब जॉन लेनॅन बीटल्स की तूफानी कामयाबी की डींगें हांक रहे थे, तब उसने कहा था इतनी लोकप्रियता मुझे उदास कर देती है। वह स्टेज की चकाचौंध में एक गुमसुम-सा गिटारिस्ट था। उसका नाम था जॉर्ज हैरिसन।
१९६० में जब वह बीटल्स से जुड़ा, तब उसकी उम्र महज 17 बरस थी। वह सबसे कमउम्र बीटल था। उस समय परिदृश्य में जिमी हेंड्रिक्स, चक बेरी, कीथ रिचर्डस, एरिक क्लैपटन जैसे धांसू रॉक गिटारिस्ट मौजूद थे। अमूमन यही स्थिति बीटल्स की गैंग में भी थी।
पॉल मैकार्टनी बीटल्स का लीड सिंगर और चॉकलेटी पोस्टर बॉय था। जॉन लेनॅन उनका प्रमुख सांगराइटर
और एक्टिविस्ट था। रिंगो स्टार धुरंधर ड्रमर था। इनके बीच हैरिसन बरसों तक एक ‘छुटकू’ की भूमिका निभाता रहा, लेकिन लेनॅन-मैकार्टनी ने शायद यह भुला दिया था कि एक रॉक बैंड में लीड गिटार ही सही मायनों में लीड वोकल होता है।
जब हैरिसन ने गिटार बजाना शुरू किया, तब एल्विस प्रेस्ले के रॉक-एन-रोल का फैशन था, लेकिन उसने अपने आदर्श कार्ल पर्किसन की प्लकिंग स्टाइल से कभी दामन नहीं छुड़ाया। उसके बाद जिमी हेंड्रिक्स ने गिटार को एम्प्लीफायर से जोड़कर रॉक संगीत के साउंड में उथल-पुथल मचा दी, लेकिन हैरिसन ने कोमल स्वराघातों के सौंदर्यशास्त्र को हमेशा याद रखा।
गिटार को वह इस कदर बजाता, जैसे बारिश की डोरियां सहला रहा हो। जब उसने ‘व्हाइल माय गिटार जेंटली वीप्स’ लिखा, तब जाकर एहसास हुआ कि उसकी गिटार का गला भी रुंधा-रुंधा रहता था और उसकी स्ट्रिंग्स पर बारिश की बूंदें फिसलती रहती थीं।
रिकॉर्डिग स्टूडियो में बैठा वह लिवरपूल की कंट्रीसाइड के बारे में सोचता रहता। कंट्री म्यूजिक उसे रास आता था। बॉब डिलन के बैलेड उसे लुभाते थे। भारत की वैष्णवता उसे खींचती थी। बीटलमैनिया के उन दिनों में वह इकलौता बीटल था, जो अपनी जगह पर अनमना था।
‘रबर सोल’ एल्बम के गीत ‘नॉर्वेजियन वुड’ में उसने गिटार और सितार का फ्यूजन कर एक नई जमीन तोड़ी। यह माधुर्य अब तक कभी सुना नहीं गया था। ‘व्हाइल माय गिटार जेंटली वीप्स’ के लिए उसने खुद एक आला दर्जे का गिटारिस्ट होने के बावजूद एरिक क्लैपटन से गिटार बजवाई।
‘विदिन यू विदाउट यू’ में उसने तमाम हदें पार करते हुए तबले-तानपूरे बजवा दिए। वह रॉक संगीत की परिभाषाएं बदल रहा था। १९७१ में जब उसने रवि शंकर के साथ कंसर्ट किया तो वह अपने समय का बहुत बड़ा क्रॉस कल्चरल इवेंट था।
1969 में उसने अपना पहला नंबर वन सिंगल लिखा : ‘समथिंग’। कुछ ने कहा यह ईश्वर को समर्पित गीत है, कुछ ने कहा यह उसने अपनी प्रेमिका के लिए लिखा है, लेकिन हैरिसन ने कहा यह गीत लिखते समय उसके मन में रे चार्ल्स थे : एक अश्वेत नेत्रहीन गायक, जिन्होंने सोल व कंट्री संगीत को अकल्पनीय ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया था।
‘समथिंग’ के लिए हैरिसन ने लिखा : ‘यू नो आई बिलीव, एंड हाऊ’। जिन दिनों म्यूजिक इंडस्ट्री में बीटल्स अपनी बौद्धिकता, कटुता और अप्रत्याशित हरकतों के लिए जाने जाते थे, तब हैरिसन इकलौता ऐसा था, जो भरोसा करना जानता था। लेकिन किस पर? शायद, समथिंग...
3 comments:
तब उसने कहा था इतनी लोकप्रियता मुझे उदास कर देती है। How any one can perform like this with the ugly burden of fame. Nice post. your writing leaves us high and dry always
'गिटार को वह इस कदर बजाता, जैसे बारिश की डोरियां सहला रहा हो। जब उसने ‘व्हाइल माय गिटार जेंटली वीप्स’ लिखा, तब जाकर एहसास हुआ कि उसकी गिटार का गला भी रुंधा-रुंधा रहता था और उसकी स्ट्रिंग्स पर बारिश की बूंदें फिसलती रहती थीं।'
संगीत को हम ऐसे लिखेंगे की जैसे पढने वाले को लगे की वो सुन रहा हो...बहुत अच्छा लिखा है सुशोभित ने.
बीटल बहुत सुना है, फिर सुनने की इच्छा जाग गयी
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