Saturday, March 3, 2012

अपनी चेतना के साथ हैमलेट का वार्तालाप



अपनी चेतना के साथ हैमलेट का वार्तालाप

-मारीना स्वेतायेवा

नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, ढँकी हुई
झाड़-झंखाड़ से ... सोने गयी थी वहाँ
लेकिन कोई सपना वहाँ है ही नहीं!
कैसे हो गया ऐसा? -
- लेकिन मैंने प्रेम किया था उसे,
चालीस हज़ार भाई जितना प्रेम कर पाते उसे
उस से ज्यादा!
हैमलेट!

नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, ढँकी हुई
झाड़-झंखाड़ से ...
और उसका आख़िरी हार सतह पर तैर आया है
नदी तट पर लकड़ी के एक कुंदे के ऊपर ...
- लेकिन मैंने प्रेम किया था उसे,
चालीस हज़ार भाई जितना प्रेम कर पाते उसे
उस से ज्यादा!
- तब भी उस से कम
जितना एक इकलौता प्रेमी कर पाता.

नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, -
- लेकिन मैंने –
(हैरान होते हुए)
प्रेम किया था उसे?


(चित्र- ब्रिटिश पेंटर जॉन एवरेट मिलेइस की पेंटिंग ओफीलिया की एक डिटेल. शेक्सपीयर के सबसे विख्यात नाटक हैमलेट में ओफीलिया, डेनमार्क के राजकुमार हैमलेट की प्रेमिका थी जो उसकी बेज़ारी के कारण आत्महत्या कर लेती है. हैमलेट और ओफीलिया के संबंधों की थीम पर मेरी याददाश्त में कबाड़खाने पर लगने वाली यह तीसरी कविता है. एक कविता महानतम रूसी कवयित्री अन्ना अख्मातोवा की थी और एक संभवतः पोलिश कवि मार्सिन स्विएतलिकी की

1 comment:

मुनीश ( munish ) said...

This and so much else on/inspired by the great Bard here fills me with pride . A chance discovery .