अपनी चेतना के साथ हैमलेट का वार्तालाप
-मारीना स्वेतायेवा
नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, ढँकी हुई
झाड़-झंखाड़ से ... सोने गयी थी वहाँ
लेकिन कोई सपना वहाँ है ही नहीं!
कैसे हो गया ऐसा? -
- लेकिन मैंने प्रेम किया था उसे,
चालीस हज़ार भाई जितना प्रेम कर पाते उसे
उस से ज्यादा!
हैमलेट!
नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, ढँकी हुई
झाड़-झंखाड़ से ...
और उसका आख़िरी हार सतह पर तैर आया है
नदी तट पर लकड़ी के एक कुंदे के ऊपर ...
- लेकिन मैंने प्रेम किया था उसे,
चालीस हज़ार भाई जितना प्रेम कर पाते उसे
उस से ज्यादा!
- तब भी उस से कम
जितना एक इकलौता प्रेमी कर पाता.
नदी के तल में है वह, शैवालों के साथ, -
- लेकिन मैंने –
(हैरान होते हुए)
प्रेम किया था उसे?
1 comment:
This and so much else on/inspired by the great Bard here fills me with pride . A chance discovery .
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