निक्की जियोवानी की एक और कविता -
आप कविता कैसे लिख सकते हैं?
आप कविता कैसे लिख सकते हैं
ऐसे शख्स के बारे में जो इस कदर करीबी
की जब आप कहें आ..आ...आ...
वे कहें छू
वे आपसे किस चीज़ को कागज़ पर
उतारने को कह सकते हैं
जो वैसे ही नहीं लिखा हुआ है
तुम्हारे चेहरे पर
और क्या कागज़
और भी वास्तविक बना सकता है
जीवन को जो
उनके बगैर असंभव तो नहीं
पर शर्तिया बेहद मुश्किल होगा
और किसी को भी
क्यों दरकार हो कविता की ये कहने को
की जब मैं घर आऊँ और अगर तुम वहाँ न हो
कि मैं तुम्हारी खुशबू को
हवा में खोजती हूँ
अगर मैं यह बात संसार को बतलाऊं
तो क्या मैं खोजना कम कर दूंगी
मैं ज़रा भी परवाह नहीं करती
और इतना सम्पूर्ण होता हो प्रेम
कि एक दूसरे को छुएं या नहीं
हम हम एक दूसरे को इस कदर घोल लेते हैं
चीज़ों में कि मसला एक दूसरे के साथ
हमबिस्तर होने भर का नहीं
(मुझे दिन भर हमबिस्तर रखा जा सकता है)
मगर एक ऐसी जगह ढूंढने का है
जहां मैं आज़ाद हो सकूं
तमाम जिस्मानी और
जज़्बाती बकवास से
और बस कॉफी का एक प्याला
लेकर बैठूं और तुमसे कहूँ
"मैं थक गयी हूँ" क्या तुम्हें नहीं पता
ये मेरे मोहब्बत में पगे लफ्ज़ हैं
जो तुमसे कहते हैं "तुम्हारा दिन
कैसा था?" क्या ये बात नहीं दिखलाती
कि मैं तुम्हारी परवाह करती हूँ और तुमसे कहती हूँ
"हमने एक दोस्त खो दिया" और मैं नहीं चाहती
इस नुक्सान को अजनबियों के साथ साझा करना
क्या तुम्हें अब तक यह नहीं पता
मुझे कैसा लगता है और अगर
तुम्हें नहीं पता तो हो सकता है
मुझे जांचना चाहिए अपने जज़्बातों को
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