मैंने एक उम्दा ऑमलेट लिखा
मैंने एक उम्दा ऑमलेट लिखा ... और खाई एक गर्म कविता ...
तुम्हें मोहब्बत करने के बाद
अपनी कार के बटन कसे ... और अपने कोट को ड्राइव पर ले गयी ... बारिश
में ...
तुम्हें मोहब्बत करने के बाद
मैं लालबत्ती पर चला की ... और हरी पर थमी ... दोनों
के दरम्यान तैरती हुई कहीं ...
तुम्हें मोहब्बत करने के बाद
मैंने अपना बिस्तरा लपेटा ... अपने बालों की आवाज़ हल्की की ... थोड़ी सी
भ्रमित थी मगर ... परवाह नहीं मुझे ...
मैंने अपने दांतों को फैलाया सामने ... और अपने गाउन का कुल्ला किया ... फिर मैं
खड़ी हुई ... और खुद को नीचे रखा ...
सो जाने के लिए ...
तुम्हें मोहब्बत करने के बाद
1 comment:
कुछ होश नहीं रहता , कुछ ध्यान नहीं रहता ...
इंसान मुहब्बत में इंसान नहीं रहता ...
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