Tuesday, April 10, 2012

एक जायज़ उदासी के दावे के पूरी तरह बरखिलाफ़.



डेनिस लेवेर्तोव की एक कविता से आपका परिचय कुछ दिन पहले करवाया था.

 24 अक्टूबर 1923 को जन्मी डेनिस की परवरिश इंगलैंड के इल्फोर्ड, एसेक्स में हुई थी. माँ के पिता खदान मजूर थे जबकि डेनिस के पिता पौल लेवेर्तोव लाइपजिग विश्वविद्यालय में अध्यापक थे. रूसी मूल का हसीदी यहूदी होने के कारण उन्हें पहले विश्वयुद्ध में नज़रबंद कर दिया गया था. इस के बाद रूस से वे इंग्लैण्ड आ बसे. यहीं डेनिस का जन्म हुआ.

जब डेनिस कुल पांच साल की थी उन्होंने अपने माँ-पिता से कह दिया कि वे लेखक बनने जा रही हैं. जब वे बारह की थीं उन्होंने अपनी कुछ कवितायेँ महान कवि टी. एस. इलियट को भेजी. उनका उत्साहवर्धन करते हुए इलियट ने उन्हें दो पन्ने का जवाब भेजा. सत्रह की उम्र में यानी १९४० में उनकी पहली कविता छपी. छः साल बाद उनका संग्रह छापा. १९४७ में उन्होंने अमेरिकी लेखक मिचेल गुडमैन से विवाह कर लिया और अमेरिका को अपना नया घर बनाया. यह सम्बन्ध कुछ सालों बाद खत्म हो गया. डेनिस और मिचेल का एक बेटा हुआ – निकोलाई.

कविता की पहली दो किताबों में उन्होंने पारंपरिक आकारों और भाषा का विशेष ख़याल रखा था. लेकिन अमेरिका आने के बाद वे अमेरिकी मुहाविरे से खासी प्रभावित हुईं. ब्लैक माउंटेन पोयट्स और सबसे अधिक विलियम कार्लोस विलियम्स ने उनके अगले कामों पर गहरा प्रभाव डाला जिसकी बानगी उनके पहले अमेरिकी कविता-संग्रह ‘हेयर एंड नाव’ में दिखता है.

आज उनकी एक और कविता पेश है –

उत्सव

चमकदार, यह दिन – किसी नौजवान उस्ताद संगीतकार सरीखा दिन
सुबह की परछाईं जैसे काटी गयी हो सबसे तेज़ कैंची से,
दक्ष हाथ. और हरे की सारी प्रतिभाएं –
चाहे फ़र्न हों या शैवाल या चीड़ की सुइयां
या तकली जैसी झाडियों पर अधीर कोंपलें –
सब कुछ पहले से कहीं ज़्यादा हरा. और जिस तरह देवदार
अपने नए फलों को रोशनी की तरफ थामते हैं आशीर्वाद के लिए
एक उत्सव भरा अधिकार, और गाते हैं एक समुद्री राग
जिसका लिप्यान्तरण हवा करती है उनके वास्ते!
एक दिन जो चमकता है ठण्ड में
जैसे कि पहला ईनाम पाया हुआ ब्रास-बैंड
झूमता चलता है
कोयले की धूल खाए किसी गाँव की सड़क पर,
एक जायज़ उदासी के दावे के
पूरी तरह बरखिलाफ़. 

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