Saturday, August 25, 2012

तुम्हारी मुस्कान की बर्फ गिर रही है मेरे दिल पर


रूसी किसान दंपत्ति की संतान सेर्गेई येसेनिन २१ सितम्बर १८९५ को जन्मे थे. सत्रह के होने पर वे मॉस्को चले गए जहां उन्होंने बतौर प्रूफरीडर काम करना शुरू किया.

तब तक उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था और वे महान रूसी कवि अलेक्सान्द्र ब्लोक के बड़े प्रशंसक थे. येसेनिन का पहला कविता संग्रह ‘मृतकों के लिए संस्कार’ १९१६ में छाप कर आया.

वे अक्टूबर क्रान्ति के समर्थक थे क्योंकि उनका विश्वास था कि क्रांति के कारण किसानों के जीवन में समृद्धि आएगी. उनकी यह प्रतिबद्धता उनके अगले संग्रह ‘अदरलैंड’ (१९१८) में देखी जा सकती है. जल्द ही उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने बोल्शेविक सरकार की निंदा करना शुरू कर दिया और ‘निर्दयी अक्तूबर ने मुझसे दगा किया’ जैसी कवितायेँ लिखीं.

१९२२ में येसेनिन ने ख्यात नर्तकी इजाडोरा डंकन से शादी की, जिसके बाद वे उसके साथ यूरोप के दौरे पर निकल पड़े. अक्सर शराब के नशे में धुत्त पाए जाने वाले इस प्रतिभाशाली कवि द्वारा होटलों के कमरों में तोड़फोड़ करने के किस्से दुनिया भर की प्रेस में छपने लगे. १९२३ में वापस रूस आकर उन्होंने ‘टेवर्न मॉस्को’ (१९२४), ‘कंफेशंस ऑफ अ हूलिगन’ (१९२४),’डिसोलेट एंड पेल मूनलाईट’ (१९२५) और ‘द ब्लैक मैन’ (१९२५) जैसे कविता संग्रह प्रकाशित किए.

भीषण डिप्रेशन से गुजर रहे येसेनिन को हस्पताल में भरती कराया गया. हस्पताल से घर आने के बाद २७ दिसम्बर १९२५ को उन्होंने अपनी कलाइयों की नसें काट लीं और अपने रक्त से अलविदा की कविता लिखने के बाद अपने आप को फांसी लगा ली. रूस के सबसे लोकप्रिय कवियों में शुमार किए जाने के बावजूद स्टालिन के शासनकाल में उनकी कवितायेँ प्रतिबंधित रहीं. १९६६ में उनकी सम्पूर्ण कृतियाँ पुनर्प्रकाशित की गईं.

कबाड़खाने में आपको उनकी कुछेक रचनाएं देखने को मिलेंगी.

आज उनकी एक खासी विख्यात कविता पेश है.



किसी जिप्सी के वायोलिन की मानिंद

बर्फीला तूफ़ान, रोता हुआ किसी जिप्सी के वायोलिन की मानिंद.
माशूक लड़की, दुष्ट मुस्कराहट,
क्या मुझे शर्म नहीं आती तुम्हारी नीली निगाह से?
मुझे बहुत ज्यादा की इच्छा नहीं, मुझे बहुत ज्यादा चाहिए भी नहीं.
हम इतने दूर दूर हैं और इस कदर अलहदा एक दूसरे से –
तुम युवा, और मैं जी चुका सब कुछ.
इस बर्फीली रात एक बर्फीले तूफ़ान में
युवाओं के लिए उल्लास, और मेरे लिए फ़क़त यादें.

मैं नष्ट नहीं होता दुलार से – बर्फीला तूफ़ान है मेरा वायोलिन
तुम्हारी मुस्कान की बर्फ गिर रही है मेरे दिल पर.

(दूसरी फोटो में येसेनिन और इसाडोरा डंकन अपने भले दिनों में.)

4 comments:

शायदा said...

bahut badhia hai jee.


Ek ziddi dhun said...

व्याख्या-विश्लेषण बूते से बाहर है। कवि और कविता परेशान कर रहे हैं।

neelotpal said...

बर्फीला तूफ़ान, रोता हुआ किसी जिप्सी के वायोलिन की मानिंद.

neelotpal said...

बर्फीला तूफ़ान, रोता हुआ किसी जिप्सी के वायोलिन की मानिंद.