Friday, September 7, 2012

जिस माली का केवड़ा, वो माली परदेस


पिछला लम्बा अरसा अनेक लगातार लगातार मरहूम उस्ताद मेहदी हसन खान साहब को सुनने में बीता. आज आपको सुनवाता हूँ उनकी एक दुर्लभ कम्पोज़ीशन - तू आ जा रसिया नदिया किनारे मोरा गाँव

 

3 comments:

Surendra Chaturvedi said...

अशोक जी,मैं मेंहदी हसन का फैन हूं और आपका शुक्रगुज़ार कि आपने ऐसी अदृभुत रचना मुझे सुनवाई। क्‍या आप बता सकते हैं कि इसे डाउनलोड कहां से किया जा सकता है। आभारी रहूंगा।

Ashok Pande said...

सुरेन्द्र जी

इस लिंक से डाऊनलोड करें -

http://www.divshare.com/download/19498349-2dc

कबाड़खाने में पधारने का शुक्रिया.

Surendra Chaturvedi said...

बहुत बहुत धन्‍यवाद । रेयर कलेक्‍शन सुनवाने के लिए आभारी रहूंगा।