Tuesday, July 30, 2013

हद है यार, तुम अब तक उसी यूनीफॉर्म में हो!


"1960 के दशक में हॉलीवुड के बड़े कास्टिंग डाइरेक्टर हार्वे वुड बंबई आये और एक फ़िल्म में पुलिस इन्स्पेक्टर के रोल के लिए उन्होंने मेरा चयन कर लिया. हालांकि मैं उसके पहले हीरो और विलेन के कुछ रोल कर चुका था पता नहीं क्या हुआ कि मुझे पुलिस इन्स्पेक्टर के रूप में ही प्रसिद्धि हासिल हुई. मुझे तमाम फिल्मों में पुलिस इन्स्पेक्टर का किरदार निभाने को मिला. बीस साल बाद अचानक हार्वे वुड से दोबारा मुलाक़ात हुई तो वे कह उठे 'हद है यार, तुम अब तक उसी यूनीफॉर्म में हो!' उन्होंने मुझ से कहा कि मैं तब तक अपने निभाये किरदारों की लिस्ट उन्हें भेजूं. बाद में उनके प्रयासों से गिनीज़ बुक वाले अपनी टीम लेकर बंबई आये और मेरा नाम अपनी किताब में दर्ज़ कर लिया" 

-एक इंटरव्यू में जगदीश राज

 १४४ फिल्मों में पुलिस अफ़सर का किरदार निभा चुके जगदीश राज का परसों निधन हो गया. पुरानी फिल्मों में इस तरह के रोल निभाने का काम या तो इफ्तेखार करते थे या जगदीश राज. सरगोधा (अब पाकिस्तान में) में जन्मे जगदीश राज खुराना ने १९६० में अपने करियर का आग़ाज़ किया था जबकि २००४ में आई ‘मेरी बीवी का जवाब नहीं’ उनकी अंतिम फ़िल्म थी.

उनकी सबसे हिट फिल्मों में ‘जॉनी मेरा नाम’. ‘दीवार’, ‘शक्ति’, ‘डॉन’ और ‘सिलसिला’ को गिना जा सकता है. उल्लेखनीय है कि उनकी पुत्री अनीता राज भी एक ज़माने में हिन्दी फिल्मों में खासा नाम कमाने में सफल रही थीं.

हिन्दी फ़िल्म संसार के नौस्टेलजिया को मज़बूती से अपने भीतर क़ायम बनाए रखने वाले भारतीयों की एकाधिक पीढ़ियाँ जगदीश राज को सदा याद रखेंगी.

कबाड़खाने की श्रद्धांजली.