Wednesday, September 18, 2013

गुरु की करनी गुरु जाएगा, चेले की करनी चेला


पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में सुनिए कबीरदास जी का एक और भजन. इस सीरीज की यह अंतिम प्रस्तुति-  

उड़ जाएगा हंस अकेला, जग दर्शन का मेला.

जैसे पात गिरे तरुवर के, मिलना बहुत दुहेला.
ना जाने किधर गिरेगा, लग्या पवन का रेला.

जब होवे उमर पूरी, जब छुटेगा हुकुम हुजूरी.
जम के दूत बड़े मरदूद, जम से पड़ा झमेला.

दास कबीर हर के गुण गावे, वाह हर को पार न पावे.

गुरु की करनी गुरु जाएगा, चेले की करनी चेला

1 comment:

Pratibha Katiyar said...

Sunna bar bar aur ho jana nishabd....