Wednesday, October 16, 2013
वृक्ष के पत्र
वृक्ष के पत्र
-
वीरेन डंगवाल
चिट्ठियां लिक्खीं
हवा में डाल दीं
बे-पता थीं
उनका जो होता
,
हुआ.
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
said...
अद्भुत....वीरेन जी की रचनाओं का जवाब नहीं होता..
अनु
October 16, 2013 at 1:28 PM
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अद्भुत....वीरेन जी की रचनाओं का जवाब नहीं होता..
अनु
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