Friday, October 18, 2013

कला की अपूर्णता है यह, यह अभेद्य वाणी - पॉल एलुआर की कविताएँ - १


आज से आपको मशहूर फ़्रांसीसी कवि पॉल एलुआर की कुछ कविताओं के अनुवाद पढ़ने को मिलेंगे. ये अनुवाद गिल्बर्ट बोवेन द्वारा संपादित और अंग्रेज़ी में अनूदित ‘सेलेक्टेड पोयम्स ऑफ़ पॉल एलुआर’ (१९८७) पर आधारित हैं.

पॉल एलुआर का जीवन परिचय कबाड़खाने की ही एक पुरानी पोस्ट से जस का तस –

फ़्रांसीसी कवि पॉल एलुआर (१४ दिसम्बर १८९५ - १८ नवम्बर १९५२) आन्द्रे ब्रेतों और लुई अरागों के साथ सर्रियलिस्ट आन्दोलन के संस्थापकों में से एक थे. उनका वास्तविक नाम यूजीन एमीले पॉल ग्रिन्देल था. निम्न मध्य वर्ग में एक बुककीपर के घर जन्मे एलुआर को बचपन में टीबी हो गई थी जिसके कारण १६ की आयु में उन्हें स्विटज़रलैण्ड के एक सेनेटोरियम में भेजना पड़ा था. इन्हीं दिनों उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया थी.अगले साल उन्होंने फ़ौज में काम किया जहां जहरीली गैसों के सम्पर्क में आने के बाद उनका स्वास्थ्य और बिगड़ गया. फ़ौज से लौटने के बाद १९१७ में उनका पहला काव्य संग्रह छपकर आया.

सर्रियल आन्दोलन से जुड़ जाने के बाद उनके जीवन में एक विचित्र घटना घटी. १९२४ के आसपास वे सार्वजनिक जीवन से कुछ समय ग़ायब हो गए थे. पहले अफ़वाहें उड़ीं और बाद में सच मान लिया गया कि उनकी मौत हो चुकी है. सात माह बाद वे वापस लौट आए और उन्होंने लोगों को बताया कि वे ताहिती, इन्डोनेशिया और श्रीलंका की यात्राओं पर निकल गए थे. यह बात बाद में पता लगी कि उनकी यात्राओं की वजह यह थी कि उनकी पत्नी गाला उन्हें छोड़ कर कलाकार साल्वादोर दाली के साथ चली गई थी.

१९४३ में उन्होंने फ़्रांस की कम्यूनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली जिसके बाद उन्होंने सर्रियलिस्ट आन्दोलन से अपने सम्बन्ध तोड़ लिए. 

अन्तर्राष्ट्रीय कम्यूनिस्ट आन्दोलन के सांस्कृतिक मोर्चे पर लगातार काम करते हुए एलुआर ने ब्रिटेन, बेल्जियम, चेकोस्लोवाकिया, मैक्सिको और रूस की यात्राएं कीं. वे चाह कर भी अमरीका नहीं जा सके क्योंकि उनकी वीज़ा की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी गई थी.

पाब्लो पिकासो के घनिष्ठतम मित्रों में से एक थे एलुआर. उनका मानना था कि कविता का उद्देश्य भाषा का नवीनीकरण होना चाहिये ताकि मानव अस्तित्व के हर क्षेत्र में उसका अर्थवान योगदान हो सके. उनकी कविता में सामाजिक चेतना, प्रेम, बिछोह और दर्द के सूत्र इस कदर आपस में गुत्थमगुत्था रहते है कि यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि उनका कौन सा कवि रूप अधिक बड़ा है.


१. पांच हाइकू

हवा
अनिश्चित,
लपेटती है एक सिगरेट हवा की.

बोलती है गूंगी लड़की;
कला की अपूर्णता है यह,
यह अभेद्य वाणी.

सच में रफ़्तार पकड़ चुकी मोटरकार
चार शहीदों के सिर
घूमते हैं पहियों के तले.

आह! एक हज़ार लपटें, एक आग,
रोशनी, एक परछाईं!
मेरा पीछा कर रहा है सूरज

एक पंख देता है एक हैट को
हल्केपन का स्पर्श:
धुआँ उठता है चिमनी से.


२. उड़ान

चपल मकड़ी,
भय के बने हाथ पैर,
आ गयी है यहाँ.
अपने वज़न से ख़ुश
मकड़ी
ठहरी रहती है निस्पंद
प्लम लाइन के सीसे की तरह.
और जब वह दूर भागती है
तोड़ती सारे धागों को,
शून्य की अपनी तलाश में
आपने करनी ही चाहिए कल्पना
बाक़ी सब तबाह.

१९२०



३. कामगार

देखता हुआ पेड़ों में इमारती लकड़ी,
पहाड़ों में जाती सड़कें,
अपनी जवानी के दिनों में, ताक़त के अपने दिनों में
लोहा मोड़ता और आकार देता हुआ पत्थर को,
सजाता हुआ प्रकृति को,
प्रकृति जिसके पास नहीं अपनी पोशाक,
काम करता हूँ मैं.


१९२१

(चित्र -  डाली का बनाया एलुआर का चित्र)

No comments: