Saturday, October 18, 2014

सादी डबलरोटी है मेरी आवाज़ - माज़ेन मारूफ़ की कवितायें – २


एस. ओ. एस.

- माज़ेन मारूफ़

सादी डबलरोटी है
मेरी आवाज़
मैं ख़्वाब देखता हूँ
अपने थके हुए दुश्मनों के बीच
उसे बांटने का
बिजली के खम्भों पर
टांग देने का उसे
चिड़ियों के लिए ...
छतों की तरह
उसे सुखा देने का
जो जल्द ही ढह गिरेंगी
अपनी नीचे रह रहों की खोपड़ियों पर.
एक मरती हुई मछली की
भूख मिटाने को
या उस कुत्ते के गले में
एड्रीनलीन का इंजेक्शन लगाने को
जिसकी मुलायम भौंक
एक रिक्शे के नीचे आकर कुचल गयी
जब वह मेरी माशूका के साथ
सड़क पार कर रहा था
सोचता हुआ कि
वह फकत पालतू सब्जियों का बोरा है एक.  

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