Wednesday, December 10, 2014

मिशेल काशेला के चित्र - 4

जब बासीलियो को लगा कि उनके बेटे अपनी कला के प्रदर्शन के लिए तैयार हैं, उन्होने अपने को उनकी कला के प्रमोटर की भूमिका में ढाल लिया. अब मिशेल को स्कूल छोड़े और अपने पिता के साथ काम करते ५ साल हो गए थे. उनका पहला शो १९०७ में हुआ जिसने मिशेल और तोमासो को वांछित एक्सपोज़र प्रदान किया. इन “युवा-प्रतिभाओं” को इटली के कला-समुदाय ने नोटिस किया. मिशेल की आयु तब १५ साल थी. अपनी पहली पेंटिंग मिशेल ने १९०८ में बेची जबकि उनकी पहली स्वतंत्र प्रदर्शनी पेरिस में अगले साल लगी. उनकी तकनीक में मुख्यतः पेस्टल्स का इस्तेमाल हुआ करता था. १९१० में मिशेल ने मिलान के कला-समुदाय में आना-जाना शुरू किया जहां उनकी मुलाक़ात कवि क्लेमेंट रेबोरा और दार्शनिक एंटोनियो बान्फ़ी से हुई. यहीं वे लेखक सिबिला आलेरामो से मिले जिन्होंने उनकी मुलाक़ात फिलिपो मैरीनेती, उम्बेर्तो बोचीयोनी आयर मार्गारिता साराफाती से करवाई. १९१२ में मिशेल के पिता ने मिलान में एक स्टूडियो खोला. स्वयं बासीलियो उन दिनों ‘नेचर एंड आर्ट’ नाम की पत्रिका के लिए इलस्ट्रेशंस बनाया करते थे.

१९१४ के आते आते मिशेल का सिबिला आलेरामो से प्रेम सम्बन्ध शुरू हुआ. सिबिला उनसे १६ साल बड़ी थीं.  १९१५ में विश्वयुद्ध की शुरुआत में इतालवी सेना की ओर से मिशेल को मोर्चे पर भेजा गया. यहाँ भी उन्होंने पेंटिंग करना जारी रखा. दरअसल जनरल एनरीको कावीग्लिया ने उन्हें मोर्चे पर सिपाहियों का जीवन पेंट करने को कहा था. एक शाम कमांड हैडक्वार्टर में दो विदेशी भगौड़े पहुंचे – एक अफसर और एक सिपाही. ये दोनों रूसी थे. जब वे पहुंचे चन्द्रमा उनके पीछे से उभर रहा था. दोनों का ही रंग अवास्तविक लग रहा था और वे सिर से पैर तक जैसे भूसे से बने हुए लगते थे. युद्ध से वापस लौटने पर मिशेल ने इस स्मृति को ‘द रशियन सोल्जर्स’ नामक पेंटिंग में तब्दील किया. मिशेल के बनाये इनमें से कुछ युद्धचित्र आज भी मिलान के संग्रहालय में प्रदर्शित हैं.


(जारी)