Wednesday, January 7, 2015

कैसी-कैसी क्रिकेट कमेंट्री - 2 - एलन मैकगिल्वरे


एलन मैकगिल्वरे

साल १९३८. ऑस्ट्रेलिया. सर्दियों की एक निद्राहीन रात. विक्टोरिया, क्वींसलैंड और न्यू साऊथ वेल्स में तमाम घर रोशन थे, चिमनियों से धुआँ निकल रहा था और क्रिकेट सिट-अप पार्टियां चल रही थीं.
वायरलैस पर एलन मैकगिल्वरे की सुपरिचित आवाज़ गूंजना शुरू हुई: “सूरज ने बादलों से झांकना शुरू कर दिया है और मैदान रोशन होने लगा है. फ्लीटवुड की गेंद. हैमंड ने आगे बढ़कर गेंद पर हैसेट की बगल से बेहतरीन ड्राइव लगाया है. हैसेट गेंद के पीछे हैं और बेहतरीन फील्डिंग. इस बीच बल्लेबाजों ने दो रन बना लिए.” ध्यान लगाकर सुन रहे मुग्ध मुदित श्रोताओं को बल्ले पर टकराती गेंद के सख्त चमड़े की ‘टक’ सुनाई देती है और तालियों की बिखरी सी आवाज़ भी. उनमें से कुछ खुद अपनी कापी-पेन्सिल लिए लगातार स्कोर लिख रहे हैं.    
एलन मैकगिल्वरे कहते जाते हैं: “हैमंड मूव्स डाउन द विकेट एंड हिट्स पास्ट द बोलर. माई वर्ड. दैट कैरीड! दैट वॉज़ ऑलमोस्ट इन द हैंड्स ऑफ़ फ्लीटवुड स्मिथ, बात वेंट जस्ट पास्ट हिम, ऑलदो ही पुट अ हैण्ड आउट, ही डिन्ट गेट नियर इट एंड इट रेस्ड पास्ट हिम फॉर फोर. बट इट वॉज़ सर्टेनली पास्ट हिम राउंड अबाउट नी हाई.”
इस बार रेडियो पर ‘टक’ की आवाज़ ज़्यादा ज़ोरदार सुनाई देती है. आउट करने का मौका चूक जाने के कारण भीड़ से एक दबी सी आह की आवाज़ निकलती सुनाई देती है, उसके बाद ज़ोरदार तालियाँ. समूचे ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों लोग अपना माथा पीटते हुए गालियां बकने लगते हैं.

इस सब के दौरान एलन मैकगिल्वरे सिडनी की मार्केट स्ट्रीट में स्थित ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कोर्पोरेशन (ABC) के स्टूडियो में झुके बैठे हैं. पिछली दो गेंदों का वर्णन इंग्लैण्ड एक मैदान से भेजे गए दो तारों का नतीजा है जहां एक टेस्ट मैच जारी है. तारों की भाषा यह थी : BRIGHTENING FLEETWOOD-SMITH HAMMOND FULL FIRSTLY TWO HASSETT SECONDLY FULL FOUR STRAIGHT UNCHANCE BOWLER THIRDLY NO BALL FULL TWO OFFDRIVEN … वगैरह.

अपनी आत्मकथा ‘द गेम इज़ नॉट द सेम’ में एलन मैकगिल्वरे याद करते हुए कहते हैं: “एरिक शोल को एक ख़ास कोड के अनुसार तार भेजने के काम से भेजा गया था. हमारे स्टूडियो के बाहर पांच या छः डीकोडरों की टीम तारों को पठनीय सूरत देने का काम करती थी जिनकी मदद से कमेंटेटर अपना काम जारी रख सकते थे. शब्दों से चित्र खींचने के लिए जो कुछ आवश्यक होता था वह सब इन तारों में हुआ करता था. ... शोल हमें मौसम के बारे  में बताया करते, भीड़ के बारे में और यहाँ तक कि मैदान तक पहुँचने के रास्ते में कैसा ट्रैफिक है यह तक. जब भी फील्ड बदलती एक नया तार पहुँचता. हर ओवर की समाप्ति पर सारी गेंदों का विस्तृत वर्णन हुआ करता था.”   


तेज़ शोर, हल्की तालियों, भीड़ की खीझ की पर्तिक्रिया वगैरह की रिकॉर्डिंग्स के संग्रह का उपयुक्त इस्तेमाल साउंड इफेक्ट देने वाले टेक्नीशियन द्वारा किया जाता था. बल्ले के गेंद पर प्रहार करने की आवाज़ के लिए कमेंट्री डेस्क पर रखे लकड़ी के एक गोल टुकड़े पर कमेंटेटर द्वारा पेन्सिल की चोट करने से निकाली जाती थी. स्ट्रोक की ताकत के हिसाब से यह चोट हल्की-भारी हुआ करती.

यह था सिंथेटिक ब्रॉडकास्टिंग का संसार – संचार तकनीकी में शोर्टवेव रेडियो द्वारा क्रांति लाये जाने से पहले का संसार.


अगर तार के आने में इस बात से व्यवधान पड़ता था कि रपट भेज रहे “कमेंटेटर” ने जल्दी कर दी हो तो ख़ाली जगहों को भरने के लिए लाइव नुस्खे के तौर पर स्टूडियो में बैठे कमेंटेटर बहसें करना शुरू कर देते. विशेषज्ञ की हैसियत रखने वाले विक रिचर्डसन संभवतः कहते “ही रीयली शुड बी मूविंग फॉरवर्ड टू दोज़ डिलीवरीज़.” मैकगिल्वरे का उत्तर होता “वैल! आई डोंट नो अबाउट दैट विक, द बोलिंग इज़ प्रेटी टाईट एंड आई थिंक स बैट्समैन आर क्वाईट राईट इन बीइंग कॉशस.” इस पूरे दरम्यान उन्हें ज़रा भी पता नहीं होता था कि खेल में दरअसल हो क्या रहा है.   

(जारी)

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