Thursday, March 10, 2016

दस मार्च को तेनज़िन त्सुन्दू के लिए रीपोस्ट - 3


मैं थक गया हूँ

तेनज़िन त्सुन्दू

मैं थक गया हूँ
थक गया हूँ दस मार्च के उस अनुष्ठान से
धर्मशाला की पहाड़ियों से चीखता हुआ.

मैं थक गया हूँ
थक गया हूँ सड़क किनारे स्वेटरें बेचता हुआ
चालीस सालों से बैठे-बैठे, धूल और थूक के बीच इंतज़ार करता 

मैं थक गया हूँ
दाल-भात खाने से
और कर्नाटक के जंगलों में गाएं चराने से.

मैं थक गया हूँ
थक गया हूँ मजनू टीले की धूल में 
घसीटता हुआ अपनी धोती.

मैं थक गया हूँ
थक गया हूँ लड़ता हुआ उस देश के लिए 
जिसे मैंने कभी देखा ही नहीं.

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