अलविदा महानायक!
कैसर से लम्बी लड़ाई
लड़ने के बाद सर्वकालीन महानतम खिलाड़ियों में गिने जाने वाली डच फुटबॉलर योहान
क्रायफ़ का आज देहांत हो गया. वे 68 साल के थे. मैंने अपने स्कूली दिनों में उनका एक पोस्टर अपने कमरे में लम्बे समय तक लगाए
रखा था.
पिछले साल फुटबॉल पर दुनिया का सबसे
सुन्दर गद्य लिखने वाले एडुआर्दो गालेआनो का भी देहान्त हुआ था. क्रायफ़ के ज़माने
की डच फुटबॉल टीम और खुद क्रायफ़ के बारे में गालेआनो ने यह लिखा था -
"एक ब्राजीलियन पत्रकार ने
उसे ‘तरतीबवार बेतरतीबी’ का नाम दिया.
नीदरलैंड्स के पास संगीत था और उसके तमाम सुरों को एक साथ लयबद्धता के साथ ले कर
चलने का काम जिस आदमी ने किया वह था योहान क्रायफ़. एक ओर्केस्ट्रा को कंडक्ट करने
के साथ ही अपना वाद्य बजाता हुआ वह किसी भी दूसरे से ज़्यादा मेहनत किया करता था.
इस दुबले-पतले, अतीव
फुर्तीले शख्स को अयाक्स के रोस्टर में तभी जगह मिल गयी थी जब वह एक बच्चा ही था:
जब उसकी माँ क्लब के शराबखाने में वेट्रेस का काम किया करती थी, वह मैदान से बाहर चली जाने वाली गेंदों को इकठ्ठा करने का काम किया करता
या खिलाड़ियों के जूते चमकाता या कोनों में झंडे लगाया करता. उसने वे सारे काम किये
जो उससे करने को कहा गया. वह खेलना चाहता था पर वे उसे यह कहकर खेलने नहीं देते थे
किउसका शरीर बहुत कमज़ोर था और उसकी इच्छाशक्ति बहुत मज़बूत. जब उन्होंने आखिरकार
उसे एक मौक़ा दिया, उसने उस मौके को थामा और अपने हाथों से
कभी निकलने नहीं दिया. अभी वह लड़का ही था जब उसने अपना पहला मैच खेला था. उसने
ज़बरदस्त खेला, एक गोल किया और एक घूंसे से रेफरी को धराशाई
कर दिया.
उस रात के बाद उसने एक तूफानी, मेहनती
और प्रतिभावान खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाए रखी. दो दशकों के दरम्यान उसने
नीदरलैंड्स और स्पेन में बाईस चैम्पियनशिप जीतीं. उसने 37 की
उम्र में रिटायरमेंट लिया; जब उसने अपना आखिरी गोल स्कोर
किया, भीड़ ने उसे अपने कन्धों पर बिठाकर स्टेडियम से उसके घर
तक पहुंचाया था."
1 comment:
"वह मैदान से बाहर चली जाने वाली गेंदों को इकठ्ठा करने का काम किया करता या खिलाड़ियों के जूते चमकाता या कोनों में झंडे लगाया करता. उसने वे सारे काम किये जो उससे करने को कहा गया."
शायद यह सब भी उस मिट्टी में मिला ही होगा जिसने योहान क्रायफ़ के मार्फ़त international soccer में "total football" को जन्म दिया और बढ़ाया ।
इस पोस्ट का आभार अशोक जी !
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