विज्ञान, दर्शन, राजनीति और स्मृति विस्वावा शिम्बोर्स्का की कविताओं में नए और नायाब अर्थों के साथ प्रकट होते हैं और चीज़ों को देखने की हमें एक अद्वितीय दृष्टि प्राप्त होती है. विस्वावा शिम्बोर्स्का की कुछ कविताएं आप पहले भी समय-समय पर आप यहां पढ़ते रहे हैं. नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित हमारे समय की इस बहुत बड़ी कवयित्री की एक और कविता प्रस्तुत है. आज आप को समय-समय पर शिम्बोर्स्का की कुछेक और कविताएं भी यहां कबाड़ख़ाने में पढ़ने को मिलेंगी.
खोज
मुझे महान खोज पर यकीन है
मुझे उस आदमी पर यकीन है जो महान खोज करेगा
मुझे उस आदमी के भय पर यकीन है जो महान खोज करेगा
मुझे उस आदमी पर यकीन है जो महान खोज करेगा
मुझे उस आदमी के भय पर यकीन है जो महान खोज करेगा
मुझे यकीन है सफ़ेद पड़ते उसके चेहरे पर
उसकी बेचैनी पर, ठण्डे पसीने से भीगे उसके ऊपरी होंठ पर
मुझे उसके नोट्स के जलने पर यकीन है
उनके राख में बदलने और
उनके आखिरी टुकड़े के जल चुकने पर यकीन है
उसकी बेचैनी पर, ठण्डे पसीने से भीगे उसके ऊपरी होंठ पर
मुझे उसके नोट्स के जलने पर यकीन है
उनके राख में बदलने और
उनके आखिरी टुकड़े के जल चुकने पर यकीन है
मुझे संख्याओं के बिखराए जाने पर यकीन है
उन्हें बग़ैर किसी पश्चाताप के बिखराए जाने पर
उन्हें बग़ैर किसी पश्चाताप के बिखराए जाने पर
मुझे आदमी की हड़बड़ी पर यकीन है
उसकी गति की सुघड़ता पर
और उसकी मुक्त इच्छाशक्ति पर यकीन है
उसकी गति की सुघड़ता पर
और उसकी मुक्त इच्छाशक्ति पर यकीन है
मुझे दवा की गोलियों के टूटने पर यकीन है
द्रवों के उड़ेले जाने पर
और किरणों के बुझ जाने पर यकीन है
द्रवों के उड़ेले जाने पर
और किरणों के बुझ जाने पर यकीन है
मैं पक्का विश्वास करती हूं कि इस सब का अन्त भला होगा
कि ऐसा होने में बहुत देर नहीं हो जाएगी
और यह कि बिना किसी प्रत्यक्षदर्शी के सब कुछ घटेगा
कि ऐसा होने में बहुत देर नहीं हो जाएगी
और यह कि बिना किसी प्रत्यक्षदर्शी के सब कुछ घटेगा
मुझे पक्का मालूम है कि कोई नहीं जान पाएगा असल में क्या हुआ था
न कोई पत्नी, न कोई दीवार,
वह चिड़िया भी नहीं जो ऊंची आवाज़ में गाती है
न कोई पत्नी, न कोई दीवार,
वह चिड़िया भी नहीं जो ऊंची आवाज़ में गाती है
मुझे चीज़ों में हिस्सा न लेने पर यकीन है
मुझे तबाह ज़िन्दगानियों पर यकीन है
मुझे वर्षों की बर्बाद मेहनत पर यकीन है
मुझे उस रह्स्य पर यकीन है जिसे कोई शख्स अपनी कब्र तक ले जाता है
मुझे तबाह ज़िन्दगानियों पर यकीन है
मुझे वर्षों की बर्बाद मेहनत पर यकीन है
मुझे उस रह्स्य पर यकीन है जिसे कोई शख्स अपनी कब्र तक ले जाता है
मेरे लिए इन शब्दों की ऊंची उड़ान तमाम कानूनों के परे है
जिसके वास्ते मुझे वास्तविक उदाहरणों की ज़रूरत नहीं पड़ती
जिसके वास्ते मुझे वास्तविक उदाहरणों की ज़रूरत नहीं पड़ती
मेरा यकीन है ठोस, अन्धा और निराधार.
3 comments:
kya kavitayen hain!
aur devtaleji aur jagooriji ki bhi.
kya kavitayen hain!
aur devtaleji aur jagooriji ki bhi.
अद्भुत! और क्या कहा जा सकता है? खास तौर पर ये पंक्तियाँ:- 'मुझे उस रह्स्य पर यकीन है जिसे कोई शख्स अपनी कब्र तक ले जाता है.'
अपने कथ्य को चरम तक या कहें कि गहराई तक कम ही लोग ले जा पाते हैं.
शिम्बोर्स्का की ऐसी तस्वीर भी मैंने आज तक नहीं देखी.
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