क्या बात है कबाड़खाने में आप जो कुछ सुना रहे हैं वो अद्भुत है और आप पसन्द भी खूब पसन्द आ रही है हमें....बहुत अच्छा लगा...भीमसेन जोशी जी को सुनना सुखद है...किस गले से गाते हैं?अद्भुत है भाई...बहुत बहुत शुक्रिया
आजकल वैसे भी भोर कुमार गंधर्व के साथ ही हो रही है । रचना जो रोज सुन रहे हैं वो है उड़ जायेगा हंस अकेला जग दर्शन का है मेला । सुंदर अति सुंदर । धन्यवाद
बहुत खूब। पंडित जी को आमने सामने बैठकर सुनने का सौभाग्य कई बार मिला है। उनके चरणस्पर्श का और सिर पर हाथ फिरवाने का सौभाग्य भी हासिल हुआ है। तर गए अशोक भाई। मनीष भाई को भी शुक्रिया....
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क्या बात है कबाड़खाने में आप जो कुछ सुना रहे हैं वो अद्भुत है और आप पसन्द भी खूब पसन्द आ रही है हमें....बहुत अच्छा लगा...भीमसेन जोशी जी को सुनना सुखद है...किस गले से गाते हैं?अद्भुत है भाई...बहुत बहुत शुक्रिया
आजकल वैसे भी भोर कुमार गंधर्व के साथ ही हो रही है । रचना जो रोज सुन रहे हैं वो है उड़ जायेगा हंस अकेला जग दर्शन का है मेला ।
सुंदर अति सुंदर ।
धन्यवाद
Dhanyavaad! adbhut rasvarsha!
बहुत खूब। पंडित जी को आमने सामने बैठकर सुनने का सौभाग्य कई बार मिला है। उनके चरणस्पर्श का और सिर पर हाथ फिरवाने का सौभाग्य भी हासिल हुआ है। तर गए अशोक भाई। मनीष भाई को भी शुक्रिया....
सही है न - आख़िर मट्टी में ही मिल जाना है !!!!
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