Saturday, April 23, 2011

जैसे चॉकलेट के लिए पानी - 4


(पिछली किस्त से जारी)

सबसे अच्छा है घर में बने हुए रोल्स का इस्तेमाल किया जाए. कड़े रोल्स बेकरी में आसानी से मिल जात्र हैं. लेकिन वे छोटे होने चाहिए. इस व्यंजन को बनाने के लिए बड़े वाले काम में नहीं लाए जा सकते. रोल्स के भरने के बाद उन्हें दस मिनट तक बेक करें और गरम गरम परोसें. बेहतर परिणामों के लिए अच्छा यह होगा कि रोल्स को कपड़े में लपेट कर रात भर छोड़ दें ताकि सॉसेजेज़ की चिकनाई सोखी जा सके.

जब तीता रोल्स को अगले दिन के लिए लपेट चुकी थी, मामा एलेना ने भीतर आकर उन्हें सूचित किया कि उन्होंने पेद्रो के विवाह की बात मान ली है - रोसौरा के साथ.

चेन्चा की बताई बात के निश्चित हो जाने पर तीता को लगा उसकी देह एक भीषण ठण्ड से भर गई है. एक तीखे विस्फोट से वह इतनी ठण्डी और शुष्क पड़ गई कि उसके गाल जलने लगे और लाल हो गए - बग़ल में रखे सेब की तरह. वह ठण्ड बहुत देर तक रही और तीता को ज़रा भी आराम नहीं पहुंचा. यहां तक कि जब नाचा ने पास्कुआल मार्क्विज़ और उनके बेटे को र्तैन्च के गेट तक छोड़ते वक्त सुनी उनकी बातें भी तीता को बताईं. नाचा बहुत खामोशी से उनके पीछे-पीछे गई थीताकि बाप-बेटे की बातें सुन पाए. दोन पास्कुआल और पेद्रो धीमे संयत और क्रोधित स्वरों में बोल रहे थे.

"तुमने ऐसा क्यों किया पेद्रो? यह मख़ौल जैसा लगेगा-तुम्हारा रोसौरा से ब्याह करना. उस अमर प्रेम का क्या हुआ जो तुम्हें तीता से था. जिसकी तुमने सौगन्ध खाई थी? तुम्हारा वादा क्या हुआ?"

"वो तो मैं निभाऊंगा ही. अगर आपको बताया जाए कि जिस लड़की से आप प्यार करते हैं उस से शादी असम्भव है तो उसके पास बने रहने का सबसे सही रास्ता यही है कि उसकी बहन से शादी कर ले आदमी. क्या आपने भी यही नहीं किया होता?

इसका उत्तर नाचा नहीं सुन पाई क्योंकि उसी वक्त रैन्च का कुत्ता पूल्के एक खरगोश को बिल्ली समझ कर उसके पीछे भौंकता हुआ वहां से गुज़रा.

"तो तुम बिना प्रेम के शादी करने का फ़ैसला ले चुके हो?"

"नहीं पापा, मैं तीता के प्रति एक महान प्रेम के कारण यह शादी करूंगा, जो कभी समाप्त नहीं होगा."

उनके पैरों के नीचे सूखी पत्तियों की कड़कड़ाहट के कारण उनकी आवाज़ें सुन पाना काफ़ी मुश्किल होता गया. कितनी विचित्र बात है - नाचा जिसे कम सुनाई देता था, वह कहे कि उसनेइस वार्तालाप को सुना था. जो भी हो, तीता ने नाचा को धन्यवाद दिया- लेकिन पेद्रो के प्रति उसके दिल में बर्फ़ीली भावनाएं नहीं बदलीं. यह कहा जाता है कि बहरे लोग सुन नहीं पाते लेकि समझ लेते हैं. शायद नाचा ने वह सुना था जिसे कहने में औरों को भय लगता था. उस रात तीता सो नहीं सकी. उसे जो महसूस हो रहा था उसे वह शब्दों में नहीं ढाल पा रही थी. कितना दुर्भाग्यपूर्ण है उस वक्त तक ब्रह्माण्ड में "ब्लैक होल" की खोज नहीं हो पाई थी, शायद तब वह अपने सीने के बीचोबीच उस ब्लैक होल को महसूस कर पाती जिसमें से अनन्त ठण्ड बह रही थी.

जब भी वह आंखें बन्द करती, उसके दिमाग में पिछले क्रिसमस का दृश्य घूम जाता. पहली बार पेद्रो और उसके परिवार को आमन्त्रित किया गया था. वह दृश्य्य और भी साफ़ होता गया, उतनी ही तीखी होती गई उसके भीतर की ठण्ड. उस शाम के बाद इतना समय गुज़र जाने के बावजूद उसे सब कुछ अच्छी तरह याद था - आवाज़ें, ख़ुशबूएं, कैसे उसकी पोशाक ताज़ा पॉलिश किएहुए फ़र्श पर घिसट रही थी, और पेद्रो की निगाहें - "वे निगाहें!" वह मिठाइयों की ट्रे लिए मेज़ की तरफ़ बढ़ रही थी और उसने पेद्रो की निगाहों को महसूस किया जो उसकी त्वचा को जला रही थीं. उसने सिर घुमाया तो उसकी निगाहें पेद्रो से जा टकराईं. उस समय उसे महसूस हुआ कि गुंदे हुए आटे को गरम तेल में छोड़े जाते वक्त कैसा महसूस होता होगा. जितनी गर्मी उसके शरीर में प्रवेश कर रही थी उसे भय हुआ उसके भीतर से बुलबुले उठने शुरू हो जाएंगे - उसके चेहरे, पेट, हृअदय, छातियों से - चूरन की तरह. उसकी निगाहोंका सामना करने में ख़ुद को असमर्थ पा कर वह कमरे के दूसरी तरफ़ चली गई जहां गरत्रूदिस पियानो पर "ओहोस दे होवेन्तूद" - वाल्ज़ बजा रही थी. उसने वहीं बीच की एक छोटी मेज़ पर अपनी ट्रे रखी और बिना यह जाने वह क्या कर रही हैसामने रखी शराब का एक गिलास उठाकर अपनी पड़ोसन पाकीता लोबो के बगल में जा बैठी. लेकिन पेद्रो से इतनी दूरी भी काफ़ी नहीं थी. उसे अपना रक्त नसों को फाड़ता सा लग रहा था. उसके चेहरे पर लाली छाई थी. तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी निगाहें किसी एक चीज़ पर टिक नहीं पा रही थीं. पाकीता ने उसे देखा तो बहुत चिन्तित होते हुए कहा-

"काफ़ी तेज़ है न ये शराब?"

"माफ़ कीजियेगा, आपने कुछ कहा?"

"तुम थोड़ा परेशाअन दिख रही हो तीता. सब ठीक तो है न?"

"जी हां शुक्रिया."

"तुम इतनी बड़ी तो हो ही चुकी हो कि खास मौकों पर एक ड्रिंक तो ले ही सको लेकिन शैतान लड़की. क्या तुम्हारी मां ने इसकी इजाज़त दी है? मैं देख रही हूं तुम उत्तेजित दिखती हो - और कांप भी रही हो - इसलिए बेहतर होगा और न पियो - अपना तमाशा बनाना तो तुम नहीं चाहोगी"

(जारी)

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