Friday, April 22, 2011

जैसे चॉकलेट के लिए पानी - ३


(पिछली किस्त से जारी)

तीता जानती थी मामा एलेना के घर में बह्स करना मुमकिन न था, परन्तु अपने जीवन में पहली बार वह मां के आदेशों का विरोध काना चाहती थी.

"लेकिन मेरे विचार से ..."

"तुम्हारा कोई विचार नहीं हो सकता, और इस बारे में मैं और कुछ नहीं सुनना चाहती. पीढ़ियों से इस परम्परा का हमारे परिवार में किसी ने विरोध नहीं किया है और न ही मेरी कोई बेटी ऐसा करेगी ..."

तीता ने अपना सिर झुका लिया और जिस तेज़ी से उसे अपना भाग्य मालूम हुआ था उसी तेज़ी से उसके आंसू मेज़ पर गिरने शुरू हो गए. उस दिन के बाद से तीता और मेज़ दोनों को मालूम हो गया कि तीता को अपनी मां के पागलपन भरे फ़ैसले के सामने झुकने के विरोध में कहीं कोई आवाज़ नहीं करनी होगी. मेज़ पर तीता के कड़वे आंसु गिरते रहे जो उसने पहली बार अपने जन्म के वक्त गिराए थे.

फिर भी तीता ने समर्पण नहीं किया. उसके भीतर कई शंकाएं उमड़ने लगीं. वह जानना चाहती थी कि परिवार में यह परम्परा किसने शुरू की थी. कितना अच्छा होता अगर उस अति-बुद्धिमान व्यक्ति को इस दोषरहित योजना का एक छोटा सा दोष बता पाती. यदि तीता की शादी नहीं होगी, बच्चे नहीं होंगे तो बुढ़ापे में उसकी देखभाल कौन करेगा? कोई समाधान? या यह उम्मीद की जाती थी कि अपनी मांओं की देखभाल करने वाली बेटियां मां-बाप के मरने के बाद ख़ुद भी ज़्यादा समय जीवित नहीं रहेंगी? और उन औरतों का क्या होगा जो शादी के बाद भी निस्संतान रह जाएंगी? वह ये भी जानना चाहती थी कि किस अध्ययन के आधार पर यह भार सबसे छोटी बेटी पर लादा गया, सबसे बड़ी पर क्यों नहीं. क्या कभी बेटों के ख्यालों का ध्यान रखा गया? अगर उसे शादी की इजाज़त नहीं थी तो क्या वह प्रेम कर सकती थी? या वह भी नहीं?

तीता को अच्छी तरह मालूम था उसके सारे प्रश्न बिना उत्तरों के सदा के लिए दफ़्न कर दिए जाएंगे. यह दे ला गार्ज़ा परिवार की परम्परा थी - बिना कुछ कहे-सुने तुरन्त आदेश मानना. तीता की तरफ़ कोई ध्यान न देती हुई मामा एलेना रसोई से बहुत गुस्से में उठकर चल दीं, और हफ़्ते भर उस से एक शब्द भी नहीं बोलीं.

उनके बीच वार्तालाप तब शुरू हुआ जब मामा एलेना घर की स्त्रियों को कपड़े सीता हुआ देख रही थीं और उन्होंने पाया कि जो कुछ तीता सी रही थी वह सबसे अच्छा तो था पर उसमें सीने से पहले टांके नहीं लगाए गए थे.

"बहुत अच्छा" वे बोलीं "तुम्हारी सिलाई में कोई दोष नहीं - मगर तुमने पहले टांके नहीं लगाए शायद."

"नहीं" तीता बोली - बातचीत दुबारा शुरू होने से वह चकित थी.

"तब जाओ, इसे उधेड़कर टांके लगाओ, दुबारा सियो और मुझे दिखाओ और याद रखो आलसी और लोभी आदमी को एक ही रास्ता दो बार तय करना पड़ता है."

"लेकिन अगर कोई गलती करे तब, और अभी अभी आपने कहा था कि मेरी सिलाई ..."

"तुम फिर से बगावत पर उतारू हो? यही काफ़ी है कि तुमने सिलाई के नियमों को तोड़ने का साहस किया..."

"माफ़ करना मामी, फिर ऐसा नहीं होगा."

इस से तीता मामा एलेना का गुस्सा शान्त करने में कामयाब हुई. इस बार वह बेहद सतर्क थी - उसने बिल्कुल सही स्वर में उन्हें मामी कहकर सम्बोधित किया था. मामा एलेना को लगता था कि मामा शब्द में थोड़ा सा अनाअर का भाव होता है इसलिए बचपन से ही उन्होंने अपनी बेटियों को उन्हें मामी कहकर पुकारने की हिदायत दी हुई थी. तीता ही इसका विरोध करती थी और वही इस शब्द समुचित आदर के साथ नहीं कहती थी - इसके लिए वह कई थप्पड़ खा चुकी थी लेकिन इस बार उसका सम्बोधन बिल्कुल सही था. मामा एलेना को लगा अन्ततः उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी पर काबू पा लिया है.

दुर्भाग्य से उनकी उम्मीदें झूठी निकलीं क्योंकि अगले दिन पेद्रो मार्क्विज़ अपने सम्मानित पिता के साथ उनके दरवाज़े पर था. वे तीता का हाथ मांगने आए थे. उनके आने पर घर में कोहराम मच गया क्योंकि इसकी किसी को उम्मीद न थी. कुछ ही दिन पहले तीता ने नाचा के भाई के माध्यम से पेद्रो को यह सन्देशा भिजवाया था कि वह इस रिश्ते का ख्याल छोड़ दे. नाचा के भाई ने सौगंध खाकर कहा था कि उसने सन्देश पहुंचा दिया था लेकिन इस समय वे घर के अन्दर थे. मामा एलेना ने उनका स्वागत किया. बहुत ही शिष्टता के साथ उन्होंने समझाया क्यों तीता का विवाह सम्भव नहीं.

"लेकिन आप वाकई पेद्रो की शादी करना चाहते हैं तो मेरी बेटी रोसौरा उपलब्ध है. वह तीता से दो बरस बड़ी है और शादी के लिए तैयार भी ..."

इस पर चेन्ची जो दोन पास्कुआल और उनके पुत्र के लिए कॉफ़ी और बिस्कुट लेकर आ रही थी ट्रे समेत करीब-करीब मामा एलेना पर गिर पड़ी. माफ़ी मांगकर वह सीधा रसोई की तरफ़ भागी जहां तीता, रोसौरा और गरत्रूदिस बेसब्री से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे. वह सीधी कमरे में घुसी तो उन सब ने सारे काम रोक दिए ताकि चेन्चा का हर शब्द सुन सकें.

वे रसोई में क्रिसमस रोल्स बना रही थीं. जैसा कि नाम से जाहिर है ये रोल्स क्रिसमस के आसपास बनाए जाते हैं, लेकिन आज वे तीता के जन्मदिन के मौके पर बन रहे थे. वह सोलह की हो जाएगी और इस मौके को वह अपने सबसे प्रिय व्यंजन के साथ मनाना चाहती थी.

"ये भी कोई बात है? तुम्हारी मां शादी के बारे में ऐसे बात करती हैं जैसे वो एन्चिलादा की प्लेट तैयार करने के बारे में हो. और इस से भी बुरा यह कि वे बिल्कुल अलग अलग होते हैं.. कोई ऐसे एन्चिलादा और ताकोस की अदलाबदली कैसे कर सकता है?"

चेन्चा ने आंखों देखा हाल सुनाना इसी प्रकार जारी रखा - अपनी शैली में. तीता को पता था चेन्चा कई बार बढ़ाचढ़ा कर बोलती थी, सो उसने अपने दिल को काबू में रखा. उसने जो कुछ सुना था उस पर यकीन नहीं किया. खुद को बिल्कुल शान्त दिखाते हुए उसने रोल्स काटना जारी रखा ताकि नाचा और उसकी बहनें उन्हें भर सकें.

(जारी)

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