लेओनार्दो
-आदम
ज़गायेव्स्की
अब
फ्रांस में रहता है वह
पहले से
ज़्यादा शांत और कमजोर.
सबसे
शानदार है वह. बादशाह की
दोस्ती
नसीब है उसे.
ल्वा नदी
हौले-हौले लुढ़काती है अपने पानियों को.
वह विचार
करता है उन योजनाओं की बाबत
जिन्हें
उसने अधूरा छोड़ दिया था.
अभी से
उसे छोड़ चुका
आधा लकवा
पड़ा हुआ उसका दायाँ हाथ.
बायाँ
वाला भी हसरत रखता है निकल जाने की.
और उसका
दिल, और उसकी
समूची देह. रोशनी के
जज़ीरे अब भी मुस्तैद पहरेदारों की मानिन्द.
2 comments:
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज (सोमवार, १० जून, २०१३) के ब्लॉग बुलेटिन - दूरदर्शी पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .
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