Saturday, August 24, 2013

एक मर्लिन मुनरो ऐसी भी – १


मर्लिन मुनरो के साथ ‘लाइफ़’ के एसोसोयेट एडीटर रिचर्ड मेरीमेन की कई मुलाकातों, बातचीतों के बाद यह गद्य १७ अगस्त १९६२ को छपा था. इसका अनुवाद ‘पहल’ के नवीनतम अंक में छपा है. आपके लिए यहाँ लगाया जा रहा है -

जब से उसे ‘सम्थिन्ग्ज़ गॉट टू गिव’ से बाहर निकाला गया है, मर्लिन मुनरो ने एक तकरीबन तिरस्कारभरी खामोशी अख्तियार कर ली है. जहाँ तक ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स के साथ उनकी दिक्कतों का सवाल है, उसने साफ़ कहा कि वह काम करने से ऊब चुकी है – वह जानबूझकर वैसी सुस्त और बिगडैल नहीं है जैसा कि प्रोड्यूसर ने उस पर आरोप लगाया है. जहाँ एक तरफ ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स और मर्लिन के वकील उस से फिल्म पर दुबारा काम पर जाने के समझौतों में लगे हुए थे, मर्लिन अपने करियर के व्यापक आयामों के बारे में सोच रही थी – उन इनामात और ख्याति के बोझ के बारे में जिसे उस पर निछावर करने को उसके प्रशंसक उसकी फ़िल्में देखने पर दो सौ मिलियन डॉलर खर्च करते थे, उन आवेगों के बारे में जो उसे धकेला करते थे और उसके वर्तमान जीवन पर उसके बचपन और अनाथालयों की अनुगूंजों के बारे में. इन सब के बारे में उसने वार्तालापों की एक दुर्लभ और बेबाक सीरीज में ‘लाइफ़’ के एसोसोयेट एडीटर रिचर्ड मेरीमेन को बतलाया था. जहाँ एक तरफ एक कैमरा उसके व्यक्तित्व की ऊष्मा और उमंग को कैद कर रहा था, मर्लिन के शब्द मर्लिन मुनरो के बारे में उसके अपने व्यक्तिगत विचारों को प्रकट कर रहे थे ...

कभी कभी मैं एक स्कार्फ और पोलो कोट पहने बिना मेक अप के एक ख़ास तरह से टहलती हुई शौपिंग करने या जी रहे लोगों को देखने निकल पड़ती हूँ. लेकिन तब कुछ किशोर वहां ज़रूर होते हैं जो एक ख़ास तरह से दिमागदार होते हैं और कहा करते हैं “अरे एक मिनट. तुम जानते हो वो कौन है” और वे मेरा पीछा करना शुरू कर देते हैं. मैं बुरा नहीं मानती. मैं इस बात को समझती हूँ कि कुछ लोग देखना चाहते हैं कि आप वास्तविक हैं. वे किशोर, वे बच्चे – उनके चेहरों पर चमक आ जाती है. वे कहते हैं “अरे” और वे अपने दोस्तों को इस बारे में बताने के लिए बेचैन हो उठते हैं. और बुज़ुर्ग लोग पास आकर कहते हैं “ठहरना जब तक मैं अपनी बीवी को इस बारे में बताकर आता हूँ.” आप ने उन का समूचा दिन बदल दिया है. सुबह के वक़्त कूड़ा उठाने वाले जो फिफ्टी सेवेंथ स्ट्रीट से गुज़रा करते हैं, दरवाज़े से मेरे बाहर आने पर सवाल करते हैं “हैलो मर्लिन, क्या हाल हैं?” मेरे लिए यह गौरव की बात होती है, और इसके लिए मैं उन्हें प्यार करती हूँ. और कामकाजी आदमी, मैं उनके पास से गुज़रती हूँ और वे सीटियाँ बजाना शुरू कर देते हैं. शुरू में वे इस लिए सीटियाँ बजाते है कि वे समझते हैं कोई लडकी जा रही है. उसके बाल सुनहरे हैं और फिगर भी ठीकठाक है. और तब वे कह उठते हैं “या खुदा ये तो मर्लिन मुनरो है!” और आप समझिये कि उस समय यह सब अच्छा महसूस होता है. जो जानते हैं कि यह आप हैं और बाकी सब. और यह जानना की आपके होने का उनके लिए कोई मतलब है.   
    
मुझे ठीकठीक नहीं पता पर मुझे महसूस होता है कि वे जानते हैं कि जो मैं करती हूँ, वैसा ही चाहती भी हूँ, चाहे जब मैं स्क्रीन पर अभिनय कर रही होऊं या जब मैं उन्हें रू-ब-रू मिलकर उनका अभिवादन करती हूँ. कि मैं वाकई कह रही हूँ हैलो आप कैसे हैं. अपनी फंतासियों में वे महसूस करते हैं “या खुदा, ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है!” लेकिन जब आप प्रसिद्ध हो जाते हैं तो आपकी औचक मुलाक़ात इंसानियत की एक कच्ची किस्म की फितरत से हुआ करती है. वहां ईर्ष्या उपजती है - प्रसिद्धि ऐसा करती ही है. जिनसे आप इस तरह मिलते हैं उन्हें महसूस होता है कि अच्छा ये समझती क्या है अपने आप को, मर्लिन मुनरो? उन्हें लगता है कि मेरी प्रसिद्धि के कारण उन्हें कोई विशेषाधिकार मिल गया है और वे मेरे पास आ कर मुझ से कुछ भी कह जाएं, यानी किसी भी तरह की कोई बात और यह कि इस से आप की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचेगी. जैसे वे आपकी पोशाक के साथ वह सुलूक  कर रहे हों. एक बार मैं खरीदने के लिए एक घर तलाश रही थी और मैं एक जगह पहुँची. एक उम्दा, खुशचेहरा आदमी बाहर आकर बोला “अरे एक मिनट. मैं चाहता हूँ मेरी पत्नी आप से मिले.” खैर वह बाहर आई और कहने लगी “क्या आप इस परिसर से दफा हो सकेंगी?” आपका सामना इसी तरह लोगों के अचेतन से होता रहता है.
कुछ अभिनेताओं, निर्देशकों की बात की जाए. आम तौर पर वे ऐसी बातें मुझ से नहीं कहते, वे उन्हें अखबारों से कहते हैं क्योंकि वह एक बड़ा खेल है. देखिये, अगर वे सिर्फ मेरे सामने आकर मेरा अपमान करें तो तमाशा उतना बड़ा नहीं बनेगा क्योंकि मेरे पास उनसे कहने को सिर्फ यही होता है कि “आप दफा हो सकते हैं.” लेकिन यही बात अगर अखबारों में हो, उसने सक समुद्र से दूसरे समुद्र दुनिया भर में फैल जाना है. मेरी समझ में यह नहीं आता कि लोग एक दूसरे के साथ थोड़ा ज्यादा उदार क्यों नहीं हो सकते. मुझे यह कहना अच्छा नहीं लग रहा पर इस धंधे में बहुत ज़्यादा ईर्ष्या है. मैं सिर्फ यही कर सकती हूँ कि ठहरूं और सोचूँ “मैं बिलकुल ठीक हूँ मगर दूसरों के बारे में मैं उतने यकीन से नहीं कह सकती.” मिसाल के लिए आपने पढ़ा होगा कि एक अभिनेता ने एक दफा कहा था कि मुझे चूमना हिटलर को चूमने जैसा लगता है. ठीक है, वह आपकी समस्या है. अगर मुझे किसी के साथ अन्तरंग प्रेम का दृश्य करना है और वह मेरे बारे में ऐसी भावनाएं रखता है तो मेरी फंतासी अपना काम नहीं कर सकती. दूसरे लफ़्ज़ों में कहा जाए तो भाड़ में गया वह, मैं अपनी फंतासी के साथ चली जाती हूँ. वह तो वहां था ही नहीं.

लोगों की फंतासियों में शामिल हो जाना अच्छी बात है लेकिन आप यह भी चाहते हैं कि आपको अपने लिए भी स्वीकार किया जाए. मैं अपने आप को एक जिन्स की तरह नहीं देखती, लेकिन मैं यकीनन कह सकती हूँ बहुत से लोगों ने इसी तरह देखा है. इनमें एक ख़ास कारपोरेशन शामिल है, जिसका नाम यहाँ नहीं लूंगी. अगर मेरी बातों से ऐसा लगता है कि आरोप लगाने को मुझे चुना गया है तो ऐसा लगना चाहिए. मुझे लगता था मेरे बहुत सारे दोस्त हैं और अचानक कुछ घट जाता है. वे तो बहुत सारे काम करते हैं. वे आपके बारे में प्रेस को बताते हैं, अपने दोस्तों को बताते हैं, कहानियां गढ़ते हैं और आप जानते हैं यह निराशाजनक होता है. ऐसे लोगों को आप हर रोज़ अपने जीएवन में नहीं देखना चाहते.

(जारी)

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