लॉर्ड्स के मैदान पर पहले स्ट्रीकर को देखते एलन नॉट |
हालांकि जॉन आर्लट ने लगातार कमेंट्री करना, विभिन्न अखबारों के लिए स्तम्भ लिखना, विविध विषयों पर किताबें लिखना और महान क्रिकेटरों और लेखकों को अपने घर के विख्यात हो चुके रात्रिभोजों में निमंत्रित करना जारी रखा, उनकी जाती ज़िन्दगी तमाम उथलपुथल से भरी रही. १९५८ में १८ सालों के विवाह के बाद उनका तलाक हुआ. इसके तुरंत बाद उनकी दूसरी पत्नी का गर्भपात हो गया. लेकिन सबसे मुश्किल हादसा उनके लिए १९६६ में पेश आया जब उनका सबसे बड़ा पुत्र जिम २१ साल की आयु में एक कार एक्सीडेंट में मारा गया. इस त्रासदी ने उनके जीवन और ह्रदय में एक गहरा शून्य बना दिया जिसके बारे में उन्होंने अपनी पहली पत्नी डॉन को एक पत्र में लिखा था: “मेरे भीतर ताजिंदगी दुःख का एक कुआं बना रहेगा.”
और हालांकि समय के साथ उनकी आवाज़ कृशतर होती गयी उनका ह्यूमर ज़रूर बरक़रार रहा.
जब उन्हें १९६० की दहाई के अंतिम वर्षों में पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज़ आसिफ़ मसूद का एक्शन देखने को मिला तो उनकी टिप्पणी थी: “इन्हें देख कर मुझे ग्राउचो
मार्क्स की याद आती है जैसे कि वे किसी सुन्दर वेट्रेस का पीछा कर रहे हों.”
आसिफ मसूद |
ग्राउचो मार्क्स |
हालांकि अपने पहले दौरे के दौरान आर्लट को दक्षिण अफ्रीका में बढ़िया मेजबानी और दोस्तियाँ हासिल हुए थे, वे रंगभेद नीति के घनघोर विरोधी थे. उनका ख़याल था कि हरेक सरकार के पास कुछेक सड़े-गले नीतिगत फैसले होते हैं लेकिन दो सबसे घृणित नीतियां दानवीय थीं – रंगभेद और आणविक हमला.
१९५० के दशक के अंतिम वर्षों में आर्लट ने साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी बेसिल
डी’ओलिवेरा के लिए लंकाशायर क्रिकेट लीग का अनुबंध हासिल करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निबाही थी. १९७० में बेसिल ने बिना किसी इरादे के क्रिकेट की दुनिया में एक
ऐसा शून्य पैदा किया जिसके कारण अगले २१ साल तक दक्षिण अफ्रीका अंतर्राष्ट्रीय
क्रिकेट से वंचित रहा. अपने व्यक्तिगत सरोकारों के चलते आर्लट ने दक्षिण अफ्रीका
के एक पहले से तय दौरे की कमेंट्री करने से साफ़ इनकार कर दिया था.
उनके इस कदम की दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैण्ड दोनों ही देशों के मीडिया
में भर्त्सना हुई. पीटर मे ने खासतौर पर एक कड़ी टिप्पणी की थी. लेकिन आर्लट अपने
फैसले पर अडिग रहे.
यह अलग बात है कि जब गैरी सोबर्स की कप्तानी में बनी एक विश्व
क्रिकेट टीम ने इंग्लैण्ड में पांच टेस्ट की सीरीज खेलने का कार्यक्रम बनाया तो
आर्लट उसकी कमेंट्री करने को सहर्ष तैयार हो गए. इस टीम में पांच खिलाड़ी दक्षिण
अफ्रीका के थे लेकिन उन दिनों दक्षिण अफ्रीका पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने पर
प्रतिबन्ध लगा हुआ था.
१९७५ के क्रिकेट विश्वकप का फाइनल उनके अमर दिनों में से एक था. उनकी
कमेंट्री ज़बरदस्त थी, उन्होंने अम्पायर डिकी बर्ड के बारे में टिप्पणी की: “अम्पायर
बर्ड हैविंग अ वंडरफ़ुल टाइम सिग्नलिंग एवरीथिंग इन द वर्ल्ड.” या उनकी एक टिप्पणी
थी: “द होल ग्राउंड सीदिंग विद लीपिंग वेस्ट इन्डियन डिलाईट.” लेकिन इसका चरम तब
आया जब क्लाइव लॉयड ने गैरी गिलमोर की गेंद को माउंड स्टैंड के ऊपर पुल किया था – “द
स्ट्रोक ऑफ़ अ मैन नौकिंग अ थिसल टॉप ऑफ विद अ वॉकिंग स्टिक.”
उसी साल, एशेज़ सीरीज के बीच, क्रिकेट ग्राउंड पर पहली बार किसी स्ट्रीकर
को प्रवेश होते देखा गया था जब एक नंगा आदमी चलते मैच के बीच कहीं से आकर पिच तक
पहुँच गया. गलती से आर्लट उसे फ्रीकर कह बैठे. इस घटना का वर्णन करते हुए आर्लट ने
अपनी क्लास दिखाई. कमेंट्री बॉक्स में बैठे उनके सहकर्मी मंद मंद मुस्कारते रहे और
आर्लट आँखों देखा हाल बयान करते रहे: “वी हैव गॉट अ फ्रीकर डाउन द विकेट नाऊ. नॉट
वेरी शेपली, एंड इट इज़ मैस्क्युलिन, एंड आई वुड थिंक इट हैज़ सीन द लास्ट ऑफ़ हिज़
क्रिकेट फॉर द डे... ही इज़ बीइंग एम्ब्रेस्ड बाई अ ब्लौंड पोलीसमैन एंड दिस में
वेल बी हिज़ लास्ट पब्लिक अपीयरेन्स – बट व्हट अ स्प्लेंडिड वन!”
(जारी)
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