Sunday, January 24, 2016

सनी लियोनी के इंटरव्यू के बहाने भारतीय समाज पर दो बातें


सनी से नहीं, अपनी सोच से डरें
- सुन्दर चन्द ठाकुर

सनी लियोनी किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. वह फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हैं, इसलिए उन्हें चर्चा में रहने से कोई गुरेज भी नहीं होगा. लेकिन एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान अगर वह बीच में ही उठकर चली जातीं, तो उन्हें इसका अफसोस नहीं होता. पूछने वाला उन्हें बार-बार उनके अतीत की ओर ले जा रहा था. बताने की जरूरत नहीं कि लियोन का अतीत कैसा था. यह उनके अतीत को 'बेहतर' जानने की जिज्ञासा ही है कि वह हिंदुस्तान में गूगल पर प्रधानमंत्री मोदी से भी ज्यादा बार खोजी गई शख्सियत बन गईं. इस इंटरव्यू को देखकर साफ लग रहा था कि इंटरव्यूअर इस तथ्य को हजम नहीं कर पा रहा था कि उसे एक पूर्व पोर्न स्टार को अपने चैनल के इस खास इंटरव्यू के लिए बुलाना पड़ा था. संभवत: लियोन को बुलाना चैनल की टीआरपी बढ़ाने को लक्ष्य करते हुए एक कमर्शल फैसला था, जिससे इंटरव्यूअर व्यक्तिगत स्तर पर संतुष्ट न था. अपनी नाराजगी को व्यक्त करने का उसके पास एक ही तरीका था कि वह लियोनी को तकलीफ पहुंचाए, उसे छोटा दिखाए. लेकिन उसका खेल चल नहीं पा रहा था, क्योंकि सनी लियोनी बुद्ध की तरह उसके सामने बैठी मुस्कराते हुए जवाब दे रही थी. उसे अपनी जिंदगी को लेकर किसी बात का अफसोस नहीं था जबकि इंटरव्यूअर उनमें अफसोस पैदा करना चाहता था. उसे लगता रहा होगा कि लियोन को ऐसा अफसोस होना चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर उसकी 'संभ्रांत' दुनिया में उसका यह इंटरव्यू लेना उचित ठहराया जा सकता था. 

भारत में पोर्न को लेकर आज भी बहुत पाखंड देखने को मिलता है. आंकड़ों का सच यह है कि पोर्न देखने के मामले में हिंदुस्तान दुनिया के टॉप मुल्कों में से एक है. पोर्न देखने की लत ऐसी है कि दो दिन पहले ही भोपाल में म्युनिसिपैलिटी में जबकि मेयर सामने मीटिंग ले रहे थे, एक अधिकारी अपने मोबाइल पर पोर्न देखने में मशगूल थे. कोई दिन ऐसा नहीं होता जबकि नाबालिग लड़कियों के बलात्कार की खबर नहीं आती. एक ओर यह और दूसरी ओर स्त्रियों को नापाक बता हम उन पर मंदिरों में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा देते हैं. उन्हें अपवित्र करार देते हैं. यह पुरुष वर्चस्व का आदिकाल से चल रहा खेल है, जो अब अपने पूर्ण नग्न स्वरूप में सामने नहीं आ पा रहा, मगर वह पुरुषों के व्यवहार में अब भी बदस्तूर दिखता है. लियोन के इंटरव्यूअर ने इन लक्षणों का मुजाहिरा करने में जरा भी कोताही नहीं बरती और एक के बाद एक उससे ऐसे सवाल पूछे कि अगर वह लियोन नहीं होती, तो संभवत: उस हॉट सीट पर बैठे हुए ग्लानि और अपराध बोध से गले तक भरी हुई वह स्त्री अपने आंसुओं की धार को नहीं रोक पाती और अपने जीवन को इस पृथ्वी पर एक अतिरिक्त बोझ समझ उससे छुटकारा पाने के बारे में सोचना शुरू कर देती. इंटरव्यूअर की ऐसी मनोकामना को साफ देखा-समझा जा सकता था. परंतु अफसोस कि ऐसा न हो सका. लियोन ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया.

भारत में नई पीढ़ी इस बात को लेकर बहुत सजग है कि वह किसी दूसरे व्यक्ति को जज न करे. हर व्यक्ति के जीवन की अपनी कहानी होती है और कौन, किन परिस्थितियों में क्या बना, उसने क्या किया, इस पर दूसरे किसी व्यक्ति को कुछ कहने का कोई अधिकार नहीं, खासकर जबकि मसला नैतिक मूल्यांकन का हो. सनी लियोनी का जीवन किसी से छिपा नहीं है और न उन्होंने उसे छिपाने की कोशिश ही की है. उन्होंने अपने जीवन को कैसे जीना है, इस बाबत खुद ही फैसले लिए हैं और उन फैसलों का वह अपनी तरह से निर्वाह कर रही हैं, जैसा कि अन्य पेशों से जुड़े लोग कर रहे हैं. अगर उन्हें अपने मौजूदा पेशे और अपने अतीत के पेशों से कोई परेशानी नहीं, तो कोई वजह नहीं कि दूसरा व्यक्ति उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाकर उनमें उनके अतीत और वर्तमान को लेकर जबरन गिल्ट पैदा करवाने की कोशिश करे. यह देखकर मुझे बिलकुल हैरानी नहीं हुई कि सोशल मीडिया में लोगों ने भी इंटरव्यूअर को लताड़ने में कोताही नहीं बरती. सनी लियोनी समाज के लिए खतरनाक नहीं, क्योंकि वह जो कर रही हैं, उसे छिपा नहीं रहीं. किसी को नहीं पसंद तो न देखे उनकी फिल्में. पर वे लोग बेहद खतरनाक हैं, जो रोशनी में हमें नैतिकता का भाषण देते हैं और परदे के पीछे अपनी काली करतूतों में डूबे रहते हैं. दुर्भाग्य से भारतीय समाज ऐसे लोगों से भरा पड़ा है. यही तथ्य असल में खासा डरावना है, इसलिए जरूरी यह है कि लियोनी  से नहीं, अपनी सोच से डरें. 

1 comment:

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

भारतीय समाज सदा ही निरंतर सुधार और चारित्रिक परिमार्जन का पक्षधर रहा है । सनी का अतीत महत्वपूर्ण है ... इसलिये कि अब वह अपने नये वर्तमान को गढ़ने में लगी हुयी है जो अतीत से बिल्कुल भिन्न है । अच्छा तो तब न होता जब वह उसी दिशा में आगे बढ़ती रही होती । सनी का मार्गपरिवर्तन स्वीकार किया जाना चाहिये और इसी करण से हम उसे इस नयी दिशा में प्रोत्साहित करने के पक्ष में हैं ।