(पिछली किस्त से जारी)
फ़िलिंग के लिए -
१५० ग्राम खुबानी का पेस्ट
१५० ग्राम चीनी का बुरादा
फ़िलिंग बनाने की विधि -
खुबानी के पेस्ट को थोड़े से पानी के साथ उबलने तक गरम करें. अब इसे एक बरतन में चीनी के साथ गरम करें. इसे धीमे धीमे चलाएं ताकि यह मुरब्बे जैसा दीखने लगे. इसे थोड़ा सा ठण्डा करें और केक के बीच की परत पर फैला दें. जाहिर है केक को पहले ही परतों में काट किया जाना चाहिए.
भाग्यवश नाचा और तीता न पहले से ही कई मर्तबान भर कर फलों के मुरब्बे तैयार कर रखे थे - खुबानी, अनन्नास इत्यादि के. यह काम उन्होंने शादी के महीना भर पहले ही कर लिया था और अब उन्हें फ़िलिंग के लिए मुरब्बे बनाने की ज़रूरत नहीं थी.
वे अक्सर काफ़ी मात्रा में फलोंके मुरब्बे बनाया करती थीं - उन फलों के जो उन दिनों उग रहे होते थे. यह काम वे रसोई के पिछवाड़े किया करती थीं जहां तांबे के एक बड़े बरतन में मुरब्बा बनाया जाता था. बरतन को आग के ऊपर रखा जाता और मिश्रण को चलाने के लिए उन्हें अपनी बांहों को पुराने कपड़ों से ढंकना पड़ता था ताकि गरम बुलबुलों से उनकी त्वचा जल न जाए.
जिस क्षण तीता ने म्रब्बे का मर्तबान खोला, खुबानियों की महक ने उसे उस दोपहर के बीच पहुंचा दिया जब यह मुरब्बा बनाया गया था. तीता किचन गार्डन से खुबानियां अपनी स्कर्ट में रखकर ला रही थी क्योंकि वह टोकरी लाना भूल गई थी. तीता अपनी स्कर्ट को आगे उठाकर खुबानियां रसोई में ला रही थी कि पेद्रो से टकराकर हक्कीबक्की हो गई. पेद्रो अपनी घोड़ागाड़ी तैयार करने बाहर निकल रहा था. उसे शहर जाकर कई निमन्त्रण देने थे. जिस व्यक्ति को यह काम करना था वह उस दिन नहीं आया सो यह काम पेद्रो को करना था. जब नाचा ने पेद्रो को रसोई में घुसते देखा, वह बहाना बनाकर रसोई से बाहर चली गई. अचम्भे में तीता से कुछ खुबानियां नीचे गिर गईं. पेद्रो तुरन्त नीचे झुककर उन्हें उठाने लगा. झुकते समय उसने तीता की अनावृत्त टांग का एक हिस्सा देख लिया.
ताकि पेद्रो उसकी टांग न देख पाए तीता ने अपना स्कर्ट नीचे गिरा दिया. ऐसा करते ही सारी खुबानियां पेद्रो के सिर पर जा गिरीं.
"माफ़ करना पेद्रो, क्या तुम्हें चोट लगी?
"नहीं नहीं. चोट तो तुम्हें मैंने पहुंचाई है. दर असल मैं कहना चाहता हूं कि मेरी इच्छा ..."
"मैंने कोई स्पष्टीकरण तो नहीं मांगा."
"तुम्हें मुझे कुछ कहने का मौका देना होगा ..."
"मैने एक बार ऐसा किया था और मुझे झूठ ही सुनने को मिला. अब और कुछ सुनने की मेरी इच्छा नहीं है ..."
इसके साथ ही तीता रसोई से भागकर उस कमरे में पहुंची जहां चेन्चा और गरत्रूदिस उस चादर को काढ़ रहे थे जो खास शादी के लिए तैयार की जा रही थी. वह एक सफ़ेद रेशमी चादर थी जिसके बीच में वे एक जटिल नमूना काढ़ रहे थे. इस हिस्से में कुछ भाग खुला हुआ था. कढ़ाई इस तरह थी कि सुहागरात के समय दुल्हन के केवल जननांग इस खुले भाग के ठीक नीचे हों. राजनैतिक अस्थिरता के दौर में भी उन्हें भाग्यवश फ़्रैन्च सिक मिल गई थी. क्रान्ति के कारण सुरक्षित यात्रा करना असम्भव हो गया था. वह तो एक चीनी स्मगलर की कृपा रही जो उन्हें यह कपड़ा मिल सका. मामा एलेना ने अपनी किसी भी बेटी को शहर भेजने का खतरा मोल नहीं लिया था, जहां से वे रोसौरा की पोशाक का कपड़ा वगैरह ले कर आतीं. यह चीनी आदमी बेहद चालाक था. उत्तर की क्रान्तिकारी सेना द्वारा जारी किए गए नोटों को वह राजधानी में ले लेता था, हालांकि बेची हुई चीज़ों की कीमत के सामने वे नोट बेकार होते थे परन्तु उत्तर में इन नोटोंकी पूरी कीमत मिलती थी जहां वह इनके बदले सामान खरीदा करता था.
उत्तर में वह राजधानी से जारी किए गए नोट स्वीकार कर लेता - यहां इन नोटों की कीमत वैसी ही होती थी जैसी राजधानी में क्रान्तिकारी सेना द्वारा जारी किए गए नोटों की. अन्ततः उसने पूरी क्रान्ति को बेचकर लाखों बना लिए. लेकिन यहां महत्वपूर्ण यह है कि उसकी कृपा से रोसौरा अपनी सुहागरात के दिन सबसे महीन सबसे बेहतरीन कपड़े का आनन्द ले सकती थी.
तीता जैसे समाधिस्थ होकर उस कपड़े की चमकदार सफ़ेदी को देखती रही. हालांकि यह केवल कुछ सेकेण्ड ही रहा, लेकिन यह आंखों को चौंधिया देने को काफ़ी था. वह जहां भी देखती उसे केवल सफ़ेद रंग ही दिखाई दे रहा था. जब उसने रोसौरा को देखा, जो कुछ निमन्त्रण लिख रही थी, तीता को केवल एक बर्फ़ीला प्रेत नज़र आया. लेकिन तीता ने अपने भावों को जाहिर नहीं होने दिया - न ही किसी और ने उसकी स्थिति पर ध्यान दिया.
वह मामा एलेना के हाथों और डांट नहीं खाना चाहती थी. जब लोबो परिवार रोसौरा को उपहार देने आया, तीता कुछ देख नहीं पा रही थी. तीता यह भी नहीं जान पा रही थी कि रोसौरा को कौन बधाई दे रहा है. उसे तो केवल सफ़ेद कपड़ों में लिपटे प्रेत नज़र आ रहे थे. किस्मत से पाकीता लोबो की तीखी आवाज़ ने उसे अपनी समस्या का समधान दे दिया और बिना परेशानी के उसने लोबो परिवार का अभिवादन किया.
बाद में जब वह उन्हें छोड़ने रैन्च के प्रवेशद्वार तक गई तो उसे भान हुआ उसने ऐसी रात पहले कभी नहीं देखी थी - ंखों को अन्धा कर देने वाली चमकीली सफ़ेद रात.
अब वह केक की आइसिंग बनाते हुए अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसे भय था फिर से वैसा ही होगा.चीनी की सफ़ेदी देखकर उसे डर लगा. वह खुद को शक्तिहीन पा रही थी. उसे लग रहा था कि सफ़ेद रंग कभी भी उसकी चेतना पर छा जाएगा और बचपन की तमाम स्मृतियां उसे घसीट रही थीं. मई के महीने वर्जिन मैरी को अर्पित किए जाने वाले सफ़ेद्फूलों की स्मृतियां, सफ़ेद कपड़े पहने कई लड़कियों के साथ वह चर्च के भीतर गी थी जहां सफ़ेद फूलौर सफ़ेद मोमबत्तियां वेदी के ऊपर रखी हुई थीं. सफ़ेद चर्च के शीशों से छनकर सफ़ेद रोशनी भीतर फैली हुई थी. उस चर्च में हमेशा वह यह सोचकर प्रवेश किया करती थी कि एक दिन वह किसी पुरुष की बांहों में उस चर्च में आएगी. टिता ने न केवल इस विचार को रोकना था, बल्कि उन सारी स्मृतियों को भी जिनसे उसे इतना दर्द पहुंचा था. उसे अपनी बहन की शादी के केक की आइसिंग तैयार करनी थी. बेहद श्रम करते हुए उसने आइसिंग बनाना शुरू किया.
(जारी)
1 comment:
bahut khoob.agli post ka intzar rahega.
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