सुबह-सबेरे ठंड में कांपते
रिक्शेवाले की फटी कमीज़ ख़लल डालती है
मुझे दुख होता है यह लिखते हुए
क्योंकि यह कहीं से नहीं हो सकती कविता
उसकी कमीज़ मेरी नींद में सिहरती है
बन जाती है टेबल साफ़ करने का कपड़ा
या घर का पोछा
मैं तब उस महंगी शॉल के बारे में सोचती हूं
जो मैं उसे नहीं दे पाई
प्रभु मुझे मुक्त करो
एक प्रसन्न संसार के लिए
उस ग्लानि से कि मैं महंगी शॉल ओढ़ सकूं
और मेरी नींद रिक्शे पर पड़ी रहे.
'एक और प्रार्थना' शीर्षक यह कविता अनीता वर्मा की है. अनीता वर्मा जी को आप कबाड़ख़ाने में पहले भी पढ़ चुके हैं. विन्सेन्ट वान गॉग पर उनकी कविता भी यहां लगाई जा चुकी है. बहुत हर्ष का विषय है कि सन २००६ का प्रतिष्ठित बनारसीदास भोजपुरी सम्मान उन्हें उनके कविता संग्रह 'एक जन्म में सब' के लिये दिया गया है. ६ अप्रैल को उनके नगर रांची में उन्हें यह सम्मान हिन्दी के वरिष्ठ कवि श्री लीलाधर जगूड़ी़ द्वारा प्रदान किया गया. समारोह में हिन्दी के अनेक नामचीन्ह समकालीन कवि-आलोचक उपस्थित थे. उस अवसर का एक फ़ोटो मुझे कल अनीता जी के सौजन्य से मेल द्वारा प्राप्त हुआ.
इस अवसर पर कबाड़ख़ाना अनीता जी को बधाई प्रेषित करता है. वे दर असल आज की फ़तवेबाज़ और बगूलाभगत दार्शनिकता का पर्याय बन चुकी अधिकतर हिन्दी कविता से इतर बहुत संवेदनशील और सार्थक रचना करने वाले विरल कवियों में हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा भी कि कविता उनके लिए जीवन की तरह ही पवित्र, सुंदर और निष्कलुष है.
प्रस्तुत है उनकी एक कविता:
यथास्थिति
आप पहाड़ पर रहते हैं तो आ जाएं नीचे
आप ज़मीन पर हैं तो आइए ऊंचाई पर
पहाड़ की सुगंध क्या साथ आई है आपके
या आप उठा लाए हैं पहाड़
ज़मीन की घास पर न रखें पहाड़
उसे रहने दें यूं ही
घास मिट्टी की उजास है
और पहाड़ नदियों का पिता.
(भूलसुधार: ब्लॉगवाणी में प्रदर्शित किया जा रहा पोस्ट का शीर्षक भूल से ग़लत लग गया. कविता में "रिक्शेवाले की फटी कमीज़ " है, "रिक्शेवाले की नींद" नहीं. क्षमा करें. )
6 comments:
अच्छी और सच्ची कविता . पुरस्कृत होने पर अनीता जी को बधाई .
इस पर भी अनुनाद - धन्यवाद
Ashok ji,
Aneeta ji Ke Samman ka samaachaar dekar aapne sujanta ka parichay diya hai. mera sadhuvad len.--Dr.Om Nishchal,Delhi / Patna
Ashok ji,
Aneeta ji Ke Samman ka samaachaar dekar aapne sujanta ka parichay diya hai. mera sadhuvad len.--Dr.Om Nishchal,Delhi / Patna
http://themanwhoinventedthemirror.blogspot.com/2008/06/toothpaste.html
सुन्दर कविता। अनीता जी को मुबारकबाद!
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