हालीना पोस्वियातोव्सका की बहुत सी कविताओं के अनुवाद आप पहले भी पढ़ चुके हैं। आज एक खास कविता, इसमें पोलैंड की इस महान कवयित्री का जीवन और निजी अनुभव संसार तो है ही महान चित्रकार विन्सेन्ट वान गॉग का एक चित्र भी अपनी पूरी भव्यता व दिव्यता के साथ चमक रहा है।कविता का तो जैसा - तैसा अनुवाद कर दिया लेकिन चित्र का ! तो आइए ,पढ़ते - देखते हैं यह कविता और कलाकृति - सूरजमुखी :
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हालीना पोस्वियातोव्सका की कविता
सूरजमुखी
( अनुवाद: सिद्धेश्वर सिंह)
प्रेम में डूबा हुआ
एक ऊँचा लंबा सूरजमुखी
हाँ यही तो है
उसके नाम का समानार्थी शब्द।
चौड़ी पत्तियों से झाँकती
अपनी हजारों खुली पुतलियों के साथ
वह उठाती है अपना आकाशोन्मुख शीश
और सूरज रूपान्तरित हो जाता है
मधुमक्खियों के एक छत्ते में।
नीली भिनभिनाहटों में
बदलने लगता है सूरजमुखी
चहुँदिशि फैल जाती है सुनहली दीप्ति।
फरिश्तों के
मस्तिष्क मात्र में विद्यमान वान गॉग
इसे उठाकर रोप देता है अपने कैनवस पर
और चमक बिखेरने का देता है आदेश।
6 comments:
दिलचस्प.........खास तौर से .....
चौड़ी पत्तियों से झाँकती
अपनी हजारों खुली पुतलियों के साथ
वह उठाती है अपना आकाशोन्मुख शीश
और सूरज रूपान्तरित हो जाता है
मधुमक्खियों के एक छत्ते में।
वाह , बढ़िया है ..कविता भी और चित्र भी !
कविता धूप सा काम कर रही है फूल के चित्र के लिए ..बहुत अच्छी
सुन्दर कविता, सुन्दर अनुवाद।
"फरिश्तों के
मस्तिष्क मात्र में विद्यमान वान गॉग
इसे उठाकर रोप देता है अपने कैनवस पर
और चमक बिखेरने का देता है आदेश"।
बहुत ज़बर्दस्त अभिव्यक्ति ! अद्भुत !!! बहुत अच्छे अनुवाद के लिए सिद्धेश्वर जी को बधाई।
bahut hi sundar.. chitr to bahut hi sundar hai. dhanyavaad.
बढ़िया कविता ।आभार ।
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