ईरान के अहवाज़ शहर में जन्मे चित्रकार महमूद सब्ज़ी ने बारह साल की छोटी आयु से पेंटिंग करना शुरू कर दिया था. कृषि अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री लेने के दौरान उन्होंने पाया कि “कृषि का सबसे अच्छा आयाम होता है उसकी प्राइमल स्पेसेज़ की विशुद्धता” और इसी सिद्धांत ने उनके कलाकार की शुरुआती संवेदनाओं को जगाने में मदद की. एक जाने-माने अमूर्त चित्रकार के तौर पर सब्ज़ी खुली स्पेसेज़ में अध्यात्मिक का संधान करते चलते हैं. एक ख़ास तरह का सिम्बोलिज्म और जटिल पैटर्न्स उनकी कला की रीढ़ बनते हैं. अपने चित्रों में पाई जाने वाली स्त्रियों की जटिल संवेदनाओं, देहभाषा और प्रवृत्तियों को आकारों और आकृतियों के बैकड्रॉप के साथ रखने की मशक्कत में वे रंगों और पंक्तियों का बेजोड़ प्रयोग कर पाने में कामयाब हुए हैं. पेश हैं उनकी कुछ नई पेंटिंग्स -
Thursday, August 8, 2013
आधुनिक चित्रकार - ३ - महमूद सब्ज़ी
ईरान के अहवाज़ शहर में जन्मे चित्रकार महमूद सब्ज़ी ने बारह साल की छोटी आयु से पेंटिंग करना शुरू कर दिया था. कृषि अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री लेने के दौरान उन्होंने पाया कि “कृषि का सबसे अच्छा आयाम होता है उसकी प्राइमल स्पेसेज़ की विशुद्धता” और इसी सिद्धांत ने उनके कलाकार की शुरुआती संवेदनाओं को जगाने में मदद की. एक जाने-माने अमूर्त चित्रकार के तौर पर सब्ज़ी खुली स्पेसेज़ में अध्यात्मिक का संधान करते चलते हैं. एक ख़ास तरह का सिम्बोलिज्म और जटिल पैटर्न्स उनकी कला की रीढ़ बनते हैं. अपने चित्रों में पाई जाने वाली स्त्रियों की जटिल संवेदनाओं, देहभाषा और प्रवृत्तियों को आकारों और आकृतियों के बैकड्रॉप के साथ रखने की मशक्कत में वे रंगों और पंक्तियों का बेजोड़ प्रयोग कर पाने में कामयाब हुए हैं. पेश हैं उनकी कुछ नई पेंटिंग्स -
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