बरेली बड़े बाईपास रोड
के नाम पर किसानों से उपजाऊ जमीन छीनने के खिलाफ प्रतिरोध संगठित करने के जुर्म
में रूहेलखंड विश्विद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर इसरार खान को इस तरह जेल ले जाए जाने पर देखें आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है.
1-आपका नाम इसरार खान क्यों हैं? 2-आप फितनापसंद क्यों हैं, आप पहले अपनी देशभक्ति साबित कीजिए। 3-आप क्या समझते हैं कि गरीब-गुरबा, किसान-मज़दूर के नाम पर आप इस मुल्क को डिस्टर्ब करना ठीक है? 4-किसान के नाम पर ताकतवरों की यूनियनें तो हैं, आंदोलन का शौक ही है तो उनकी ही जय बोल। 5-आप अर्थशास्त्र के मास्टर हैं। आपको नहीं पता कि ताकतवरों के आर्थिक हितों के लिए जो माकूल है, वही मुल्क के लिए माकूल होता है। 6-आप अर्थशास्त्र के मास्टर हैं। क, ख, घ पढ़िए, यही पढ़ाइए। मतलब क कमा, ख खा, घ घर बना। मतलब, प्रॉपर्टी डीलिंग कर, ट्यूशनखोरी कर, नोट्स बेच, कुंजी लिख, एमवे का सामान बेच, बाज़ार में सज। 7-फिर, यूनिवर्सिटी के मास्टर हो, अपनी इज़्ज़त का ख़्याल नहीं आता। अपने यूनिवर्सिटी मास्टर तबके के वर्ग चरित्र को पहचानो। 8-देखो कानून-वानून न बको। कानूनन तो हथकड़ी पहनाना गलत है। वैसे हमने तो बांह में सिर्फ रस्सा बांधा है। 9-मत सोचो कि बुद्धिजीवियों में कोई उबाल आएगा। ये 1970-80 नहीं है। शुक्र मनाओ जिंदा हो, खबरें नहीं पढ़ते क्या?
असल में मेरे परिवार में कुछ लोग खुद को हरियाणा का और कुछ खुद को यूपी का मानने में बड़ा मान करते हैं । मैं दूसरे वालों में हूँ । लेकिन ये तो महज़ दसेक साल पहले पता चला फ़िल्म बंटी बबली के ज़रिए कि यूपी में रस्सा बाँध के क़ैदी को ले जाने का सीन फ़िल्मी नहीं बल्कि ऐसा सच में होता है । मैं तो पाँच बरस की उमर के बाद रहा नहीं वहाँ यूपी में तो लोहे की बेड़ियाँ वगैरह देखते थे हरियाणा में । सो ये पता चला तो मैं भौंचक रहा तीन दिन तक । बहरहाल बात नाम की नहीं । वो इसरार हों या ईश्वर चंद्र विद्यासागर, ये वाक़या क़ाबिले मज़म्मत है और मैं ऐसा करने वालों को कमीना कहता हूँ । वैसे बरेली तो यूपी में ही है ना या यूके मने उत्तराखण्ड में आ गया था ?
2 comments:
1-आपका नाम इसरार खान क्यों हैं?
2-आप फितनापसंद क्यों हैं, आप पहले अपनी देशभक्ति साबित कीजिए।
3-आप क्या समझते हैं कि गरीब-गुरबा, किसान-मज़दूर के नाम पर आप इस मुल्क को डिस्टर्ब करना ठीक है?
4-किसान के नाम पर ताकतवरों की यूनियनें तो हैं, आंदोलन का शौक ही है तो उनकी ही जय बोल।
5-आप अर्थशास्त्र के मास्टर हैं। आपको नहीं पता कि ताकतवरों के आर्थिक हितों के लिए जो माकूल है, वही मुल्क के लिए माकूल होता है।
6-आप अर्थशास्त्र के मास्टर हैं। क, ख, घ पढ़िए, यही पढ़ाइए। मतलब क कमा, ख खा, घ घर बना। मतलब, प्रॉपर्टी डीलिंग कर, ट्यूशनखोरी कर, नोट्स बेच, कुंजी लिख, एमवे का सामान बेच, बाज़ार में सज।
7-फिर, यूनिवर्सिटी के मास्टर हो, अपनी इज़्ज़त का ख़्याल नहीं आता। अपने यूनिवर्सिटी मास्टर तबके के वर्ग चरित्र को पहचानो।
8-देखो कानून-वानून न बको। कानूनन तो हथकड़ी पहनाना गलत है। वैसे हमने तो बांह में सिर्फ रस्सा बांधा है।
9-मत सोचो कि बुद्धिजीवियों में कोई उबाल आएगा। ये 1970-80 नहीं है। शुक्र मनाओ जिंदा हो, खबरें नहीं पढ़ते क्या?
असल में मेरे परिवार में कुछ लोग खुद को हरियाणा का और कुछ खुद को यूपी का मानने में बड़ा मान करते हैं । मैं दूसरे वालों में हूँ । लेकिन ये तो महज़ दसेक साल पहले पता चला फ़िल्म बंटी बबली के ज़रिए कि यूपी में रस्सा बाँध के क़ैदी को ले जाने का सीन फ़िल्मी नहीं बल्कि ऐसा सच में होता है । मैं तो पाँच बरस की उमर के बाद रहा नहीं वहाँ यूपी में तो लोहे की बेड़ियाँ वगैरह देखते थे हरियाणा में । सो ये पता चला तो मैं भौंचक रहा तीन दिन तक । बहरहाल बात नाम की नहीं । वो इसरार हों या ईश्वर चंद्र विद्यासागर, ये वाक़या क़ाबिले मज़म्मत है और मैं ऐसा करने वालों को कमीना कहता हूँ । वैसे बरेली तो यूपी में ही है ना या यूके मने उत्तराखण्ड में आ गया था ?
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