नेत्र- परीक्षण
- येहूदा आमीखाई
थोड़ा पीछे जाओ. बाईं आँख बंद करो,
अभी भी?
थोड़ा और पीछे जाओ. दीवार आगे चली गयी है,
क्या दिख रहा है तुम्हें?
क्या पहचानने में आ रहा है धुंधलेपन में?
मुझे याद आ रहा है एक गीत जो चला गया ...
अब? अब क्या दिख रहा है तुम्हें?
अभी भी? – हर समय.
मुझे छोड़कर मत जाओ. प्लीज़. प्लीज़.
तुम नहीं जा रहे हो न?
नहीं जा रहा.
एक आँख बंद करो. जोर से बोलो.
सुनाई नहीं दे रहा – मैं अभी से जा चुका दूर,
क्या पहचानने में आ रहा है? अब क्या दिख रहा है
तुम्हें?
एक उदास आँख बंद करो.
हां.
अब दूसरी उदास आँख बंद करो. हां.
देख सकता हूँ अब.
और कुछ नहीं,
1 comment:
आप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 11/11/2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
सूचनार्थ।
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