Sunday, February 22, 2015

जैज़ पर नीलाभ - 12

सिडनी बेशेत 
जैज़ रोज़मर्रा की धूल को धो कर साफ़ कर देता है.
- आर्ट ब्लेकी

यक़ीनन, ग़ुलामों के पास खोने के लिए अपनी बेड़ियों के सिवा और कुछ नहीं होता. लेकिन जो लोग अपनी सरज़मीन से उखाड़ कर एक अजनबी देश में, अजनबी लोगों द्वारा, अजनबी लोगों के बीच ग़ुलाम बना कर ले जाये गये होते हैं, उनका तो न इतिहास होता है, न भूगोल; बस दर्द-ओ-ग़म का एक इलाक़ा होता है, जिसमें नाउम्मीदी हर क़दम पर उनसे वह सब भी छीन लेने के लिए घात लगाये रहती है जो वे किसी तरह जुटाते रहते हैं. अफ़्रीका से ग़ुलाम बना कर अमरीका ले जाये गये लोगों के साथ कुछ ऐसी ही कैफ़ियत थी, या शायद इससे भी ज़्यादा.

बंक जॉनसन

मगर इसे उनके जीवट का ही सबूत माना जायेगा कि हर तरह की विपरीत स्थिति में उन्होंने नये सिरे से अपनी ज़िन्दगियों को दोबारा कंकड़-दर-कंकड़ जोड़ने की कोशिश की और इसमें वे कामयाब भी हुए. इस जद्दो-जेहद से जो चीज़ें उभर कर सामने आयीं और जिन्होंने अपनी बारी में इस जद्दो-जेहद में उनका साथ भी निभाया, उनमें जैज़ को पहली सफ़ पर रखा जा सकता है. यह सिलसिला 1862-64 के अमरीकी गृह युद्ध के बाद और भी तेज़ हो गया कि वह युद्ध लड़ा ही इन ग़ुलामों को आज़ाद करने के मक़सद से गया था. यह बात दीगर है कि उसके बाद भी मोटे तौर पर अफ़्रीकी मूल के अमरीकियों के हालात पहले जैसे ही रहे, या अगर सुधरे भी तो टुकड़ों में और बेहद धीरे-धीरे. 

ज़ाहिर है कि जिनका इतिहास और भूगोल ही नहीं था, उनके संगीत के इतिहास की फ़िक्र किसे होती ? इसीलिए जैज़ का शुरुआती सफ़र अंधेरे में खोया हुआ है. और अगर आज उसका थोड़ा-बहुत अन्दाज़ा किया भी जा सकता है तो महज़ उन क़िस्सों और बयानों के बल पर जो लोगों ने बाद में दर्ज कराये, जब जैज़ संगीत ने बड़े पैमाने पर हरदिल अज़ीज़ी हासिल कर ली और अमरीकी संगीत समीक्षकों को महसूस हुआ कि उनके पास अमरीकी संगीत के नाम पर कहने के लिए जैज़ के सिवा कुछ भी नहीं था, बाक़ी तो जो था, वह सारे-का-सारा यूरोपी संगीत था, वहीं से लाया गया. 

क़िस्से-कहानियों में हक़ीक़त से थोड़ी-बहुत छेड़-छाड़ की गुंजाइश तो रहती ही है. अब यही देखिये कि उसी ज़माने में जब किंग ऑलिवर और उनका क्रियोल बैण्ड मिसिसिपी की लहरों पर धूम मचा रहा था और लूई आर्मस्ट्रांग शोहरत और कामयाबी की मंज़िलें एक-एक करके तय कर रहे थे, कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्हें जैज़ के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने के लिए बीस-तीस साल इन्तज़ार करना पड़ा. ऐसे ही एक शख़्स थे बंक जॉनसन (1889-1949).



(पनामा - बंक जॉनसन)

तो दोस्तो, जैज़ के सफ़र में एक छोटा-सा घुमाव ले कर लुई आर्मस्ट्रांग की चर्चा से पहले बंक जॉनसन का ज़िक्र कर लिया जाये.

नाम तो उनका था विलियम गैरी जॉनसन, मगर वे जाने जाते हैं बंक जॉनसन के नाम से. और उनका यह नाम कैसे और क्यों पड़ा, इसके पीछे एक मज़ेदार क़िस्सा है. हुआ यह कि जब जैज़ के इतिहास को मुकम्मल करने का भूत अमरीकी संगीत समीक्षकों पर चढ़ा तो भाग-दौड़ शुरू हुई. खोज-खोज कर बूढ़-पुरनिये पकड़े जाने लगे और उनसे बात-चीत करके जैज़ संगीत की कड़ियां कुछ उसी अन्दाज़ में जोड़ी जाने लगीं जैसे मानव के विकास क्रम की छान-बीन करने वाले वैज्ञानिक प्रागैतिहासिक काल से ले कर अब तक छान-फटक करते रहते हैं. इस क्रम में नामी संगीतकारों के साथ गुमनाम लोगों के इण्टर्व्यू रिकॉर्ड करने का सिलसिला शुरू हुआ. 

इसी क्रम में जब कुछ नामी-गिरामी संगीतकारों ने, जिनमें लुई आर्मस्ट्रांग के साथ-साथ कुछ और संगीतकार भी शामिल थे, बातचीत के दौरान न्यू और्लीन्ज़ का ज़िक्र करते हुए वहां के प्रभावशाली वादकों में  विलियम जॉनसन का ज़िक्र बड़े सम्मान से किया तो जॉनसन  की तलाश शुरू हुई. मगर जॉनसन का कुछ अता-पता न था. बड़ी खोज-बीन के बाद आख़िरकार 1938 में जब बिल रसेल और फ़्रेद्रिक रैम्ज़े ने अपनी किताब "जैज़मेन" - जैज़ के लोग - लिखने की योजना बनायी तो उन्होंने किसी तरह विलियम जॉनसन को लूज़ियाना के न्यू आइबीरिया शहर में खोज निकाला और उनसे ढेरों क़िस्से रिकॉर्ड किये. 

जॉनसन जो एक लम्बे अरसे से गुमनामी के गर्त में खोये हुए थे, इस नयी तवज्जो से बहुत उत्साहित हुए और उन्होंने पुराने ज़माने के बारे में, जैज़ के माहौल, संगीतकारों, बैण्डों, गायकों और वादकों के बारे में और सबसे ज़्यादा अपने बारे में कहानियां सुनायीं. ख़ैर किताब लिखी गयी, मगर धीरे-धीरे यह राज़ खुलने लगा कि जॉनसन ने उस ज़माने की बातें करते हुए ढेरों और सेरों झूठ बोला था. यहां तक कि अपने को अहमियत देने के चक्कर में अपनी पैदाइश की तारीख़ दस साल पीछे सरका दी थी. ज़ाहिर है, एक हंगामा खड़ा हो गया और संगीत समीक्षकों ने कहा कि विलियम जॉनसन "बंक" यानी बकवास से भरे हुए थे. और लीजिये साहब यह नाम विलियम जॉनसन के साथ चस्पां हो गया. मगर इससे जॉनसन पर रत्ती भर फ़र्क नहीं पड़ा. चूंकि जब बिल रसेल और फ़्रेड्रिक रैम्ज़े विलियम जॉनसन से मिले थे तब उनके आगे के दांत टूटे हुए थे और उनके पास कोई साज़ नहीं था, इसलिए यह जानने का भी कोई ज़रिया नहीं था कि लुई आर्मस्ट्रांग ने जो दावा किया था, वह सच भी था या नहीं. चुनांचे एक बार फिर जॉनसन के यहां धरना दिया गया. उन्होंने कहा कि अगर उनके दांत लगवा दिये जायें और उन्हें ट्रम्पेट मुहैया करा दिया जाये तो वे अपने जौहर दिखा सकते हैं. 

बहरहाल, क़िस्सा-कोताह यह कि इस बीच जॉनसन के चटपटे क़िस्सों ने बिल रसेल की किताब को ख़ासा लोकप्रिय बना दिया था. सो लेखकों ने संगीत-प्रेमियों और संगीतकारों और रिकॉर्ड कम्पनियों से चन्दा करके बंक जॉनसन के दांत बनवाये, उन्हें साज़ ख़रीद कर दिया और 1940  के बाद जा कर विलियम गैरी "बंक" जॉनसन ने अपने संगीत को रिकॉर्ड कराया.



(सिस्टर केट - बंक जॉनसन)

आज बंक जॉनसन के बारे में जो मालूमात हैं, उनके अनुसार जॉनसन का जन्म न्यू और्लीन्ज़ में ग़ालिबन 1889 में हुआ था, हालांकि ख़ुद वे इसे 1879 में हुआ बताते थे. मामूली परिवार था और जॉनसन ऐडम औलिवियर से संगीत सीख कर उन्हीं की मण्डली में शामिल हो गये थे. कुछ समय उन्होंने बडी बोल्डन के बैंड में भी शिरकत की और आगे चल कर फ़्रैंकी डुसेन और क्लैरेन्स विलियम्स के बैंड में भी. 1915 में जॉनसन ने न्यू और्लीन्ज़ को विदा कही और घुमन्तू मण्डलियों में शामिल हो गये. बात यह थी कि जॉनसन को एक संगीत कार्यक्रम में शिरकत करनी थी. वे वहां पहुंचे ही नहीं. उनके साथियों ने ऐलान किया कि जॉनसन को इसकी माक़ूल सज़ा दी जायेगी जिसका एक पहलू उनकी पिटायी करने से जुड़ा था. सो, संक्षेप में कहें तो वे फूट लिये. 

फिर, 1930 में जब वे ब्लैक ईगल्ज़ नाम के बैण्ड में ट्रम्पेट बजा रहे थे तो बैंड के दूसरे ट्रम्पेट वादक एवन टॉमस को किसी ने छुरा मार दिया. इसके बाद जो हंगामा हुआ उसमें न केवल जॉनसन के आगे के सारे दांत टूट गये, उनका साज़ भी तबाह हो गया. उनके लिए ट्रम्पेट बजाना मुहाल हो गया. कई साल तक मेहनत-मज़दूरी करके और ट्रक ड्राइवरी करके वे अपना गुज़ारा चलाते रहे. फिर जब अमरीकी राष्ट्रपति रूज़वेल्ट ने अपनी नयी आर्थिक नीति के तहत आदिवासियों, ग़रीबों, विस्थापितों और समाज के दलित तबक़ों के लिए सांस्कृतिक योजना शुरू की तो जॉनसन बच्चों को संगीत सिखाने के काम पर लग गये और यही वह समय था जब उन्हें जैज़ के इतिहासकारों ने खोज निकाला.

1940 के बाद बंक जॉनसन ने जो संगीत रिकॉर्ड किया, उसने यह साबित कर दिया कि उन्हें क्यों उनके समय के संगीतकार इतना सम्मान देते थे. उनके वादन में एक उल्लेखनीय कल्पनाशीलता, सूक्ष्मता और सौन्दर्य है. लेकिन इन्हीं रिकॉर्ड्स ने यह भी संकेत दिया कि वे क्यों अपना मुक़ाम नहीं हासिल कर पाये थे. वे जब बहकते थे तो उनके वादन की दिशा का पता लगाना मुश्किल होता, कभी मन्द हो जाते कभी ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक. ऊपर से उनकी शराबनोशी अलग अपना असर दिखाती रहती. लेकिन इन कमियों के बावजूद उनका बेहतरीन वादन अव्वल दर्जे का है, और चाहे उन्होंने कितनी ही लंतरानियां हांकी हों उनका संगीत आज भी न्यू और्लीन्ज़ और उसके युग की एक धरोहर है. 



(फ्रैंकलिन स्ट्रीट ब्लूज़ –बंक जॉनसन)


(जारी)