१९७५ में जन्मी मंगोलियाई
चित्रकार ज़ाया साईखान साम्बू कहती हैं: “मेरी कला पुरानी और नई शैलियों के मध्य
किसी पुल जैसी है. मैं पारम्परिक मंगोलियाई शैली और आधुनिक एशियाई कला के बीच अपनी
पेंटिंग में सामंजस्य बिठाने की कोशिश करती हूँ. रोज़मर्रा का प्राचीन जीवन, अपनी घुमंतू मध्य एशियाई जड़ों, तिब्बती अध्यात्मवाद की थीम और पारम्परिक जापानी तकनीक
का इस्तेमाल कर मैं अपने कैनवस में एक गर्मीभरी रंगत प्रविष्ट करा पाती हूँ. मेरी
बहुत सी पेंटिंग्स में शाही और कुलीन मंगोल महिलाएं दीखती हैं जिनकी केशसज्जा और
परिधान पुराने समय की घुमक्कड़ मंगोल एरिस्टोक्रेसी में प्रचलित थीं. इनकी आकृतियों
के साथ अक्सर बनैले पशु होते हैं जैसे स्नो लेपर्ड्स और भेड़िये. इन सब का मेरी मूलभूत मंगोलियाई
पहचान से बहुत गहरा नाता है.”
वर्तमान मंगोलिया में उन्हें
में सबसे बड़ी चित्रकार माना जाता है -
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