Friday, February 22, 2008

बहुत हो गई पतनशीलता, अब पॉल रॉब्सन को सुनिए

पतनशीलता की बहस सुर-ताल खो रही है। ये मेरी निजी, बिल्कुल निजी राय है और मुझे गलत राय बनाने का हक है। हर बहस सुर-ताल में हो ये जरूरी नहीं है। मनीषा पांडे जो बात कर रही हैं, वो जरूरी है। अच्छे-अच्छों को झटका देने का दम है उस कलम/की-बोर्ड पर चलती उंगलियों में। ये चर्चा आगे भी जारी रहे, लेकिन अगर मन थक गया है, किसी किस्म का अवसाद है, वसंत की तलाश है तो आइए कबाड़खाना में।

अशोक पांडे की दुकान में इन दिनों बहार आई हुई है। महान पॉल रॉब्सन आए हुए हैं। यहां आपको ओल मैन रिवर, माई कर्ली हेडेड बेबी और समटाइम आई फिल लाइक ए मदरलेस बेबी का ऑडियो मिलेगा। पिघले हुए लोहे की तरह गंभीर आवाज के साथ बहने को तैयार हो जाइए। लेकिन जो पतनशीलता की बहस में लगे रहना चाहते हैं, वो लगे रहें। पॉल रॉब्सन आपका इंतजार कर लेंगे।

2 comments:

मनीषा पांडे said...

पतनशील बहस छोड़कर सबसे पहले तो मैं ही आती हूं, वसंत की तलाश में, पॉल रॉब्‍सन को सुनने।

मुनीश ( munish ) said...

....isliye main bhi aya ...halanki kisliye ye ap sochen?