Saturday, March 15, 2008

फ़ारसी खाने का लुत्फ़: बकर तोतला


मेरी ख़ुशक़िस्मती रही है की मुझे 'मैसी साहब' वाले रघुबीर यादव के साथ काफ़ी वक़्त साथ बिताने का अवसर मिला है. बंबई में उनके यारी रोड और चार बंगला वाले घरों में हमने बहुत शानदार समय गुज़ारा है. देश के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार रघु भाई बढ़िया गायक तो हैं ही पाक कला में भी निपुण हैं. आज सीखिये उन का एक बेहतरीन व्यंजन- बकर तोतला.

बकर तोतला बनाने का तरीका

आवश्यक सामग्री:

१ किलो बकरे का गोश्त (४ लोगों के लिए)
१ किलो प्याज़
२ चम्मच पिसा गरम मसाला
१ चम्मच सरसों का तेल
स्वादानुसार नमक

बनाने की विधि:

कुकर में तेल गर्म करें. तदुपरांत उसमें मोटे कटे हुए प्याज़ को झोंकें. जितना जल्दी हो उस में मसाला और नमक फेंकें. तुरंत उस में गोश्त डालें और कुकर को बंद करें. रम का गिलास भर लें और बाक़ी लोगों के आने से पहले अपना कोटा समझ लें. दस बारह सीटियाँ आने पर निकाल लें. बकर तोतला रेडी है. बाज़ार से मंगाई चमड़ा रोटियों के साथ खाएं.

नोट-

* बकर तोतला को बिना सलाद के साथ खाना कुफ़्र माना जाता है. इस के साथ एक ख़ास तरह का सलाद पेश किया जाना चाहिए. सलाद सत्ताईस मटरी नामक इस फ़ारसी सलाद के लिए बचे खुचे प्याज़ों को बेतरतीब काट कर उस के ऊपर मटर के सत्ताईस दाने बिखेरें. इस से सलाद की शोभा बढ़ती है. और पेट में कुछ सब्जी भी जाती है.

**सब से महत्त्व की बात यह है की गोश्त खरीदते समय कसाई महोदय से पूछ कर यह बात साफ़ कर लेनी चाहिए कि बकरा अपने पूरे जीवन में मिमियाते वक़्त तुतालाया हो

***रघु भाई की पत्थर करी, चिकन छिछोरा, चिकन रद्दी और बिना आलू का आलू परांठा भी सिने जगत में विख्यात हैं.

13 comments:

Ashish Maharishi said...

शानदार। अब यह बात बताइए कि यह सब खाने कब आना है मुझे

आशीष

सुजाता said...

भई अशोक जी "तोतला" बनाने का तरीका -देख कर आयी थी ; पता चला है तो जीभ से ही सम्बन्धित पर ......
वैसे क्या ये कबाडखाना की ऑरिजिनल डिशेज़ हैं---रद्दी चिकन ,तोतला मुर्गा बकरा ..जो भी....:-)
या सचमुच य्रे होती हैं ।

काकेश said...

वाह वाह जी मस्त लगा यह तो.हल्द्वानी आ रहा हूँ खिलायेंगे क्या.

अमिताभ मीत said...

छा गए हो मालिक. कल छुट्टी है सोचा था आराम करूंगा. अब इतना काम बता दिया है ......

इरफ़ान said...

अब आपने शुरू कर ही दिया है...तो जल्द ही "चिकन खजैला" और "मटन रोग़नी-लँगडा" बनाना ज़रूर सिखाएँ.

siddheshwar singh said...

"मुर्ग-रम- बुढैला" तो याद होगा?
'हिमालय' वाला.उस पर आपने कविता भी लिखी थी बाबूजी.बाद में मैने उसी (बे)चारे मुर्गे पर दूसरी कविता लिखी थी .दोनो मेरे पास हैं.लगा दूं क्या ?
बखत- बखत की बात है !

दिनेश पालीवाल said...

पिछली बार जिन पत्थरों के न होने की वजह से पत्थर चिकन बनते बनते रह गया था. तब से उन पत्थरों की (और आप की भी) तलाश है.

Anonymous said...

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Unknown said...

लज्जत्दार लिज्जत्दार अति उत्तम खाद्योपांत कबाड़ - मनीष [पुनश्च: सीधी टिटिहरी का सूप भी आने वाले है क्या गुरुदेव]

Ashok Pande said...

मुझे नहीं पता था कि रघु भाई के इस व्यंजन को आप लोग इस कदर पसन्द करेंगे। कुछ साहेबान ने इस का लुत्फ़ पाने के लिए न्यौते जाने की रिक्वेस्ट की है। सो आप सब हज़रात-ऐ-मोहतरिम जब चाहें आ जावें। वैसे डिश बनाने का तरीका इस लिए बताया जाता है कि आप ख़ुद उसे ट्राई करें।अमिताभ भाई (माने मीत) इसे कलकत्ते में संभवतः आज बना रहे हैं। खैर! जनाब इरफान और मनीष, अभी तो बहुत सारी कबाड़ी डिशें बची हैं। सिद्धेश्वर बाबू जो मरजी हो बो लगा दो। पालीवाल जी, होली आने वाली है। उम्मीद है दो सालों में आप ने पर्याप्त पत्थर जमा कर लिए होंगे। बो क्या कैवें इंगलिस में ... "Bon Appetit"!

अजित वडनेरकर said...

भाई, समा बंध गया।
मुज़फ्फरनगर की भोपा रोड पर तोतले का ढाबा याद आ गया। मालिक तुतलाता था और हम शौक़ से तड़ी पतोड़ा नाम की डिश चावल के साथ खाया करते थे। शाम को बलफ वाली तई की लत्ती ठंडक भर देती थी।

Arun Arora said...

क्या बात है जी मजा आ गया,हमे भी लग रहा है आज तो कि हम भी अच्छे खाने बनाने वालो मे शुमार हो गये है,यानी अब हम भी यहा (कैसे बनाये शानदार खाना)श्रंखला शुरु कर सकते है..:)
लेकिन इससे पहले आपके हाथ का बना तोतला/हकला जो भी हो खाना जरूर चाहेगे.:)

प्रस्थान : विशेष said...

कोई इसका स्वाद वरिष्ठ कवि वीरेन डंगवाल जी से भी पूछे! उन्होंने खा रखा है ये अशोक जी का बकर तोतला !