Sunday, April 6, 2008

आज की डायरी

नैनीताल जाने की ठान रखी थी कल रात ही से। प्रकाश भाई चेयरमैन का चुनाव लड़ रहा है उत्तराखण्ड क्रांति दल से। उसी का ऑर्डर था कि मैं नैनीताल पहुंच जाऊं. सुबह - सुबह नैनीताल ही से भाभी का फ़ोन आया हुआ था कि बेटा नोनू ग्यारहवीं के आगे से हल्द्वानी पढ़ाई करना चाहता है और उसने बाक़ायदा बहुत सारी चेतावनियां दे रखी हैं कि वह मना किये जाने की हालत में हल्द्वानी में किराए पर कमरा ले लेगा आदि. इस को लेकर घर में बूढ़े मां बाप में तमाम बहस मुबाहिसे जारी थे. थोड़ी बहुत बदतमीज़ी मुझसे हुई. उसका सॉरी.

जाने से पहले कबाड़ख़ाने में एक पोस्ट लगाई। केनी जी का सैक्सोफ़ोन - आशिक हूं उसका।

नैनीताल के रास्ते में एस पी साहब की गाड़ी के पीछे मंथर गति से चल रहे एक ट्रक पर एक शेर लिखा देखा।

नैनीताल कुक्कू भतीजे से नया प्रिंटर लेना था। लिया। उसी के दफ़्तर में प्रकाश दद्दा आने वाला था. वह थोड़ा देर से आया. हल्द्वानी से साथ भट्ट जी आए थे. पूरे पिकनिक के मूड में थे सो सुबह ही व्हिस्की के एक पैग से प्रभाती कर आये थे. बारिश कल रात से टपकती रही थी और वह रस्ते भर जारी रही. अप्रैल का महीना और मोटी जैकेट ले जाने की सलाह मिली हुई थी. वह भी कुछ कम कारआमद महसूस हुई. (ग्लोबल वार्मिंग का लपूझन्ना).

फ़िलहाल पालीवाल जी साथ थे कुक्कू के वहां सो मज़ा होना ही था। प्रकाश भाई के लिए कुछ पैम्फ़लेट्स के डिज़ाइन बनाए। पूर्व विधायक दद्दा भी साथ रहे और उत्तराखण्ड क्रांति दल के एकाध बड़े नेता जी भी. भाई लोगों की प्रैस कॉंफ़्रेंस थी सो वे लपक लिए. बारिश की उबाऊ टपटप लगातार. इधर पता चल चुका था कि गुड्डी भाभी के भाई साहब ने हरिद्वार जा कर आत्महत्या कर ली है. गुड्डी भाभी की तबीयत बहुत ख़राब है ये भी.

सवा चार बजे वोदका की बोतल आ गई और आलू के परांठे। मैं एक पैग बमुश्किल खत्म कर सका। इस दौरान ट्रक वाला शेर सस्ते शेर पर चेप दिया था. क्रिकइन्फ़ो पर लगातार स्कोर पर निगाह. ये गांगुली ग़लत आउट. ये गया धौनी.

पौने छः पर फ़ाइनली भाई के घर का रुख़ किया. नोनू सोमवार से हल्द्वानी आ जाएगा - तय पाया गया.
गुड्डी भाभी को हल्द्वानी ले जाया गया है इलाज के वास्ते। नैनीताल से रेफ़र करने के बाद।

काठगोदाम से दिनेश दा को पचास साठ बार फ़ोन लगाया। लग के नहीं दिया बीएसएनएल। टेढ़ी पुलिया वाले भाटिया साहब के दुकान-कम-घर से लैंडलाइन से बात हो गई. एक क्लीनिक में भाभी भर्ती हैं. उधर एक दोस्त डॉक्टर साहब भाटिया जी के यहां मिल गए. बोले कहां लुटेरे के अड्डे पर तुम्हारे भाईसाहब चले गए.

नैनीताल से दीप बाबू साथ हैं। वो मुन्ना जी की आत्महत्या के बारे में कुछ ठोस जानकारी देते हैं: अकेला बेरोजगार आदमी, ऊपर से अधेड़, पत्नी-बच्चों से कोई संबंध नहीं बचा ... सल्फ़ास, अख़बार वगैरह। बातें गणेश बाबू की बाबत भी हुईं उनसे. सन पिचानवे से गा़यब गणॆश हमारा भाई जाने कहां होगा. होगा तो.

भाटिया साब जबरिया एक पैग व्हिस्की ठूंस देते हैं हमेशा जैसे - लाड़ के साथ। उनके बेटे गुन्नू का कल क्रिकेट मैच है। वही बताता है कि इन्डिया ३२८ पे घुस गई.

अब अस्पताल. अस्पताल में वही सब - आते जाते मरीज़, अजीबोग़रीब डॉक्टर, नातेदार ... गुड्डी भाभी को होश तो आ गया है पर आवाज़ नहीं खुल रही।

दिनेश दादा घर नहीं आने वाला। वह अस्पताल में ही रहेगा। दिल्ली से जाट भाई का फ़ोन - १२ तारीख़ से कॉर्बेट में बुकिंग कराओ यार!

दीप बाबू और मैं घर आ कर खाना खाते हैं। टिफ़िन में दिनेश दा के लिए खाना और थर्मस में कॉफ़ी. वापस अस्पताल.

प्राइवेट अस्पतालों को कुछ गालियां। लखनऊ से आए महेश दा के साथ एक भरपूर गोल्ड फ़्लेक का पूरा लुफ़्त। थोड़ी साहित्य चर्चा - जितना अस्पताल की क़ुरबत अलाउ करे. दिनेश दा के सोने का इन्तज़ाम. घर से कम्बल.

दीप बाबू और मैं साढ़े बारह बजे घर। नया प्रिन्टर चैक किया। बेटी का एक शानदार फ़ोटू निकाला. नए कुत्ते स्पूकी के साथ!

आजकल तो स्पूकी भी गिरीश के पास दिया हुआ है। बेटी वियेना में है।

सवा बजे वियेना फ़ोन। वहां अप्रैल चल रहा है - असली वाला। "व्हैन आर यू गोइंग टु कम टु विएना चोको! ... "

सवा दो बजे याद आया कि अपने श्वान श्री टफ़ी को आज देखा नहीं। जाकर उस के पास बैठा ज़ीने के नीचे। सातवें ऑपरेशन के बाद सत्रह साल का मेरा बुज़ुर्ग कुत्ता टफ़ी फ़ाइनली अकेलेपन को पसंद करने लगा है.

... कल सुबह साढ़े छः पर दिनेश दा को लेने जाना है। कैथरीन फ़्रांस से आया चाहती है - उसके लिये दुभाषिया अब तक नहीं मिला। फ़्रांसुआ के लिए कमरा बुक कराना है. या ख़ुदा! काफ़्का की जीवनी की प्रस्तावना लिखी जानी है. और हालीना पोस्वियातोव्स्का की किताब की भी. जाट के लिए कॉर्बेट बुक कराना है - राजीव को फ़ोन! प्रकाश दा के पैम्फ़्लेट्स बनने हैं, दिलीप भाई का चश्मा दिल्ली कोरियर कराना है. बेटी के लिए एक कॉमिक लिखनी है ...

हैडफ़ोन पर आज क्रिस रिया का 'ऑबर्ज'. और कुछ नहीं : आय'म गॉन फ़िशिन ... एन आय'म गोइन टुडे ...

एक और व्हिस्की।

लो साहब, अपुन तो गए!

6 comments:

मुनीश ( munish ) said...

what a hectic day! that harmonium workin'properly?

दीपा पाठक said...

नोनू बारहवीं में पहुंच गया क्या? उसकी दीदी कितने में पहुंच गई फिर?

इरफ़ान said...

"नैनीताल के रास्ते में एस पी साहब की गाड़ी के पीछे मंथर गति से चल रहे एक ट्रक पर एक शेर लिखा देखा।"
ये वोद्का से पहले देखा या बाद में? एसपी साहब की गाडी के आगे चलते ट्रक पर तो शेर पढा जा सकता है लेकिन पीछे के ट्रक पर लिखे को पढकर आपने कमाल ही कर दिया.

मुनीश ( munish ) said...

arey haan ye to hai ! irfaan ki baat ka javaab do ji!

Ashok Pande said...

भौत स्याना बन्निया इरफ़ान दद्दा. अब ये तो आप के विज़ुअलाइज़ करने की कैपेसिटी पर डिपेन्ड करता है. मेरा वाक्य अभी भी टैक्निकली सही है. और सीज़र मुनीश आप भी ...

शिरीष कुमार मौर्य said...

इरफान भाई की बात को क्यो सही बताओगे मालिक? तुम्हारी ही मान लेते है - क्या होता है वो - कुटैय्या मे रहना, तो बाबा का सहना !