Saturday, July 19, 2008

प्रसन्नवदनः सौभाग्यदाम भाग्यदाम: एनिग्मा के संगीत का लुत्फ़ लीजिये

1957 में रूमानिया के बुखारेस्ट शहर में जन्मे मिखाएल क्रेट्यू ने अपने साथियों डेविड फ़ैयरस्टीन और फ़्रैंक पीटरसन के साथ 1989 में 'एनिग्मा' की स्थापना की थी. यह समय संगीत के क्षेत्र में इलैक्ट्रोनिक क्रान्ति का था और इसी लगभग अनचीन्हे इलाक़े को एनिग्मा ने अपना कार्यक्षेत्र बनाने की ठानी थी. यहां यह बात ग़ौरतलब है कि मिखाएल क्रेट्यू इस के पहले कई नामी-गिरामी संगीतकारों-गीतकारों-म्यूज़िक ग्रुपों के साथ काम कर चुके थे.

आठ महीनों की मशक्कत के बाद क्रेट्यू ने MCMXC a.D. नाम से अपना पहला अल्बम रिलीज़ किया. आधुनिक संगीत में इस के बाद क्रान्ति आ गई. बॉलीवुड के तमाम संगीतकारों तक ने (जिनमें ए. आर. रहमान का नाम प्रमुख है) एनिग्मा की धुनों और बीट्स को इस्तेमाल किया. दुनिया भर में इस अल्बम बिक्री के सारे कीर्तिमान तोड़ डाले. फ़्लोइंग सिन्थेसाइज़र, एक सी ही धुनों का बार-बार बजाया जाना, ग्रेगोरियन मठों के मन्त्रोच्चार, फ़्रांसीसी कविता की लरज़, पियानो के शानदार सोलो पीसेज़, सकुहाजी बांसुरी और एथनिक परकशन का इस्तेमाल इस अलबम की विशेषता थी. यह अलबम अपने गीतों के विवादास्पद कथ्य के कारण भी चर्चा में रहा. सैक्स, धर्म और व्यक्तिगत विश्वास पर चर्चा करने के साथ ही इस संग्रह में एक गीत सत्रहवीं सताब्दी के सनसनीख़ेज़ व्यक्तित्व मार्क्विस द साद को लेकर भी है.

एनिग्मा ने बेहतरीन प्रयोगों की परम्परा भी डाली, जिनमें मुख्य था दुनिया भर के साहित्य और संगीत का प्रयोग कर एक सार्वभौमिक संगीत भाषा बनाना. तो यहां आपको ऋग्वेद की ऋचाओं से लेकर हंगरी और अफ़्रीका तक की बोलियों और संगीत के टुकड़ों का हैरत अंगेज़ मिश्रण सुनने को मिलेगा. इस ग्रुप के माध्यम से लगातार विविधतापूर्ण अलबम निकलते रहे हैं और दुनिया भर में उनके चाहने वाले उनका इन्तज़ार करते हैं. एनिग्मा की स्थापना के सत्रह सालों बाद एनिग्मा के आधिकारिक प्रबंधन द्वारा जारी एक रपट के मुताबिक संगीत-अलबमों की बिक्री दस करोड़ से ज़्यादा पहुंच चुकी थी.

आज आप के लिए प्रस्तुत है एनिग्मा के दूसरे अलबम 'द क्रॉस ऑफ़ चेन्जेज़' से दो और तीसरे 'Le Roi Est Mort, VIVE Le Roi! ' (यानी The King is Dead, Long Live the King) से एक रचना. ये तीनों मुझे बहुत ज़्यादा पसन्द हैं.


'द आईज़ ऑफ़ ट्रुथ'

(क्रेट्यू इस गीत के माध्यम से एक उच्चतर शक्ति की तरफ़ इशारा करते हैं. इस अचम्भित कर देने वाले पीस में एक ड्राइविंग बोट, तबला, शकूहाजी बांसुरी, गिरजाघर का कॉयर, मंगोलियाई स्वर तो है ही क्रेट्यू की पूर्व पत्नी सान्ड्रा की मखमली आवाज़ भी है)



'रिटर्न टू इनोसेन्स'

(यह गीत एनिग्मा के सबसे बड़े हिट के रूप में विख्यात है. गीत की शुरुआत ताईवान के आदिवासी संगीत से होती है और उसके बाद ड्र्मों और ग्रेगोरियन चान्ट्स का अविस्मरणीय जादू आपको अपने भीतर डुबो लेता है.)



आख़िर में सुनिये 'Le Roi Est Mort, VIVE Le Roi!' अलबम से 'द चाइल्ड इन अस'. मधुमक्खियों की भिनभिन जैसी आवाज़ से शुरू होती है यह कम्पोज़ीशन. और उसके बाद ऋग्वेद की एक ऋचा, मंगोलियाई लोकधुन और स्वयं मिखाएल क्रेट्यू की तनिक हिचकभरी आवाज़ मिल कर एक और उम्दा रचना का निर्माण करते हैं. बहुत सलीके से इस्तेमाल किये गए ग्रेगोरियन चान्ट्स के कारण इस गीत को बहुत से विशेषज्ञ ईसामसीह के जन्म से मिला कर भी देखते हैं.



मुझे ' द आईज़ ऑफ़ ट्रुथ' का वीडियो भी अद्भुत लगता है इसलिए बावजूद पोस्टों में यूट्यूब की उपस्थिति से मेरी थोड़ी नापसंदगी के, आपके वास्ते इस वीडियो को भी लगा रहा हूं.

आनन्द लीजिए.


2 comments:

Anil Kumar said...

Enigma हमेशा से ही मेरा पसंदीदा रहा है। उनका तकरीबन सारा ही संगीत मुझे पसंद आता है। संस्कृत के कुछ शब्द भी बोले गये हैं कहीं-कहीं। इससे याद आया, एक कंप्यूटर गेम खेला था मैंने - Diablo II. उसमें भी वही संस्कृत के शब्द थे, और ये दोनों ही गाने मुझे बहुत ही प्यारे लगते हैं।

मुनीश ( munish ) said...

The music is quite familiar, but i didn't have any idea of its composers and the concept which u have conveyed beautifully & if i were a dictator i would have ordered all the bloggers to come here DUTIFULLY !