Sunday, October 5, 2008

कवि की पत्नी

इब्बार रब्बी की यह छोटी सी कविता मुझे बहुत असली लगती है. ज़रा देखिये तो:

कवि की पत्नी

इब्बार रब्बी

बच्चों के लिए जेलर
पति के लिए होटल है
कवि की पत्नी.

मूंग की दाल पकाती है
टमाटर में नहाती है
महंगाई की तरह
तुनक मिजाज़.

कविता नहीं पढ़ती वह.

12 comments:

siddheshwar singh said...

कब
कैसे
पढ़े
वह
कविता ???

मुनीश ( munish ) said...

the laws enforcing monogamy on Hindus,including kavis etc., are the root cause of lower levels of creative prowess in all fields.

मुनीश ( munish ) said...

fotoz in post links are zabardast sab!

Unknown said...

आवाज से भी कलम से भी। आप तो खासे हातिम रचनात्मक हैं munish babu>। आपकी कितनी हैं आजकल?

Ashok Pande said...

मुनीश भाई की बात में दम है.

Ashok Pande said...

हां सिद्धेश्वर की भी!

Ashok Pande said...

और अनिल जादों साब, भेरी पर्सनल सवाल पूछे जाने की ह्यां पे इजाजत ना हैगी.

Unknown said...

भाई जान,
मुनीस नाम कुछ हिंदू सा लगा इसलिए अरज करी। वरना इस बहाने सवाल तो पब्लिक वाला ही था कि क्यों हिंदू क्रिएटिव ज्यादा या मुसलमान का अहमकाना सवाल उठाते हो। वह भी सिरफ इसलिए कि शरई तौर पर उसे कई वीवियां रखने की इजाजत है। क्या इब्बार की कविता इसलिए बहुत असली लगती है कि उसकी कई ठो बीवियां हैं? क्या मर्द दहकान है और औरत, बच्चों के साथ क्रिएटिविटी फ्री देने वाली जरखेज खेत। ओह हो, तो रचनात्मकता का उस्तरा रोमांस उर्फ प्यार के पत्थर पर तेज होता है तो ऐसा भी नहीं है एक औरत सिरफ एक कुंटल और कई औरतें कई कुंटल प्यार की खाद आपकी क्रिएटिविटी की बोगेनविलिया में डालती हैं। वाकई अगर ऐसा होता तो रचनात्मकता जिसे अपना भाई पॉवर कहता है, का पॉवर हाउस अफ्रीका के कबीलों में होना चाहिए जहां प्रारंभिक पत्नियों के जवान बच्चे अपनी किशोर दुल्हन मां को सजाते हैं।

......यह कौन है सावित्री का सत्यवान हिंदू जो अब भी प्रैक्टिकली मोनोगैमस बचा हुआ है? (कभी था भी नहीं) फिर भी बकौल भाई मूनीस उसकी रचनात्मकता का यह हाल क्यों हैं? वह कुछ और लेता क्यों नहीं.

महेन said...

कविता पढ़ेगी तो मूंग की दाल कौन बनाएगा?

Manish Tripathi said...

अशोक जी , लपूझन्ना को आगे बढ़ाइए, हद हो गई है इंतजार की....
प्लीज

गौरव सोलंकी said...

हाँ अशोक जी, लपूझन्ना पर जल्दी लिखिए कुछ। बहुत दिन हो गए।

Ashok Pande said...

भाई मनीष और गौरव, बहुत जल्दी कुछ नया आता है लपूझन्ने में. वायदा.