Sunday, October 5, 2008

पतझड़ की हवाएँ !

लंदन में पतझड़ की हवाएँ चलने लगी हैं. चिनार के पेड़ों पर पत्ते अभी तक तो हरे हैं लेकिन अब उनके पीले पड़ने और टूट टूट कर गिरने की शुरुआत हो चुकी है. अमरीकी पूँजीवाद संकट से घिरा है. सट्टेबाज़ी से खरबपति हो गए या होने का स्वप्न देखने वाले लोग परेशान हैं. परेशान वो लोग भी हैं जो पूँजी की इस ज़ंजीर में अहचाहे बँधे हुए हैं और इधर से उधर घसीटे जा रहे हैं क्योंकि बिजली महँगी हो गई है, गैस महँगी हो गई है. जीवन कष्टकारी होता जा रहा है. सुनिए इस चिट्ठी में अहवाल विलायत का.

लेकिन सुनिएगा कहाँ से? ऑडियो फ़ाइल बारह मिनट लंबी है और उसे अपलोड करने की कला नदारद. अस्तु, सिर्फ़ तस्वीर देखिए और ठंड को महसूस कीजिए.

2 comments:

Udan Tashtari said...

चलो भई, आप के कहे पर तो हम फोटो देख कर ही खुश हो लिए.

uroochi said...

Patjhad to bhai jaan aapke yahan bhi hai. aur aapko mahantam samkaaleen bata rahe ek sajjan in dino student se ashleel bartav ke mamle se vibhushit hain. ye kaisa patjhad hai. saadho kuchh to kaho