Thursday, April 16, 2009

पॉल एलुआर की एक बहुत छोटी कविता


पॉल एलुआर के अनुवादों के क्रम में आज उन की एक बहुत छोटी कविता:


सत्य

दुख के पंख नहीं होते
न ही प्यार के
न कोई चेहरा
वे बोलते नहीं.
मैं हिलता-डुलता नहीं
मैं उनकी ओर टकटकी लगाए नहीं देखता
मैं उनसे बात नहीं करता
लेकिन वास्तविक हूं
मैं अपने दुख और प्यार की तरह

1 comment:

Kapil said...

कविता और अनुवाद दोनों (अच्‍छे) वास्‍तविक हैं।