Friday, July 10, 2009

मेरी यादों में : दगशाई
























दगशाई!
दिल्ली से करीब ३१० किलोमीटर दूर १९०० मीटर की ऊँचाई पे मौजूद ये भी हमारा एक पसंदीदा हिल स्टेशन है जिसे हमने किसी किताब या वेबसाईट की मदद से नहीं बल्कि ख़ुद की आवारागी से ढूँढा है । जांबाज़ गोरखा रेजीमेंट का एक गढ़ होने के नाते ये अनाजाना भी नहीं है मगर सैलानी यहाँ कम ही आते हैं । हालांकि ये दिल्ली-कालका-शिमला सड़क पर बहुत आसानी पहुँचने लायक है मगर कोई हाट-बाज़ार या चमक-दमक न होने की वजेह से यहां वो सुकून अभी भी बरकरार है जो किसी ज़माने में शिमला में हुआ करता था मसूरी में भी होता था ! दिल्ली के नीओ-रिच पंजाबी-बिजनिस्मैन ने जिस तरेह नैनीताल, मसूरी और शिमले का मठ मारा है इसका भी मार ही देना था जी मगर छावनी होने के नाते बस ये बचा रह गया है । उम्मीद करता है मयखान्वी की आप भी जब वहां जायंगे तो उसे उतना ही साफ-ओ शफ्फाफ छोड़ करआयेंगे जितना वो आपको मिला था !

3 comments:

Rangnath Singh said...

nice post

Ashok Pande said...

बढ़िया है साहेब! ख़ुशाआमदीद.

सुशील छौक्कर said...

सुन्दर फोटो ।