Tuesday, August 18, 2009

आदमी को रहना होता है अपने जीवन के भीतर

येहूदा आमीखाई की यह कविता मेरी इज़राइली दोस्त दानीएला गीतातूश ने येरूशलम से आज ही भेजी है हिब्रू से अंग्रेज़ी में अनूदित कर के. और इत्तेफ़ाक यह है कि आज ही मैंने आमीखाई की प्रेम कविताओं पर यहां एक पोस्ट लगाई है. दानीएला से मेरी मुलाकात पिछले साल फ़ोर्ट कोचीन की पुरानी येहूदी बसासत मट्टनचेरी में हुई थी. येहूदा आमीखाई का जीवन और उसकी कविता ही हमारी बातचीत और उसके बाद की दोस्ती का आधार बने थे. दानीएला के मुताबिक यह कविता आमीखाई के जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हुई थी.



एक आदमी अपने जीवन में

पहला मन्दिर तोड़ा जाता है
और दूसरा मन्दिर तोड़ा जाता है
लेकिन आदमी को रहना होता है
अपने जीवन के भीतर.

यह ठीकठीक वैसा नहीं है
जैसा मुल्कों के साथ हुआ
जो यहां से चले गए उस जगह
निर्वासन में.

यह ठीकठीक वैसा नहीं है
जैसा हुआ पिता परमेश्वर के साथ
जो आराम से चढ़ गए
और भी महान ऊंचाइयों तलक.

एक आदमी अपने जीवन में
पुनर्जीवित करता है
अपने मृतकों को अपने पहले स्वप्न में
और दफ़नाता है उन्हें दूसरे एक आदमी अपने जीवन में

पहला मन्दिर तोड़ा जाता है
और दूसरा मन्दिर तोड़ा जाता है
लेकिन आदमी को रहना होता है
अपने जीवन के भीतर.

यह ठीकठीक वैसा नहीं है
जैसा मुल्कों के साथ हुआ
जो यहां से चले गए उस जगह
निर्वासन में.

यह ठीकठीक वैसा नहीं है
जैसा हुआ पिता परमेश्वर के साथ
जो आराम से चढ़ गए
और भी महान ऊंचाइयों तलक.

एक आदमी अपने जीवन में
पुनर्जीवित करता है
अपने मृतकों को अपने पहले स्वप्न में
और दफ़नाता है उन्हें दूसरे में.

(फ़ोटो: इज़राइल के एक ध्वस्त सिनागॉग के पत्थर)

2 comments:

मुनीश ( munish ) said...

कवि का जीवन परिचय कविता को ठीक सन्दर्भ में समझने में सहायक होगा . मैं कवि के जीवन से परिचित नहीं लेकिन पिछली पोस्ट में प्रकाशित चित्र में चेहरे की लकीरों का पैटर्न और आँखों का सजग पैनापन बताता है की कवि ने नॉर्मल कांस्क्रिप्शन से ज़्यादा समय फौज में बिताया और कमांडो प्रशिक्षण लिया . शर्त ओल्ड मंक के एक क्वार्टर की है !

Chandan Kumar Jha said...

येहूदा आमीखाई की कविता पढी मैनें....

मैं कोचिन में रहता हूँ.....सो फ़ोर्ट कोचिन कई बार जा चुका हूँ.