Friday, September 10, 2010

यानी है मांझा खूब मंझा उनकी डोर का - २

(पिछली किस्त से जारी)

कांच को बहुत बारीक पीसे जाने के बाद चावल के मांड और अलग अलग रंगों में मिलाकर आटे की तरह गूंदा जाता है.

इस काम में लगे हाथों की उम्रों के बीच का फ़ासला भी आपको भरपूर नज़र आ रहा होगा.

देखते जाइए! कबाड़ी रोहित ने बहुत मशक्कत की है इन तस्वीरों को आप तक पहुंचाने में. और समय भी बहुत ख़र्च किया है.














(जारी)

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

चित्र कथा बयान कर रहे हैं।

Unknown said...

Though there had been a lot of demand of bareilly's manjha but this time all manjha makers of bareilly are sturggling to save it. China's metalic manjha is cheaper(risky too) than it.