Wednesday, February 2, 2011

ओ रे नील दोरिया.....

कुछ दिन पहले एक दोस्त ने इस गाने का लिंक भेजा. बांग्ला समझ पाने की डींग हांकने के बावजूद पूर्वी बंगाल की बांग्ला पूरी तरह समझ तो नहीं पाया, लेकिन स्वर और संगीत ने मानों कलेजा बींध दिया..विशेषकर शुरुआत में गायिका की धीमी पुकार ने सरोबार कर दिया. आप सब को सुनाने का लोभ संवरण नहीं कर पाया. 'अर्नब एंड फ्रेंड्स' के बारे में कुछ नहीं जानता सिवाय इसके कि एक बांग्लादेशी बैंड है.. इनके कुछ और गाने यहाँ सुन सकते हैं.
(विडियो यूट्यूब से लिया गया है)


4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मन मोह लिया इस गीत में, लग रहा है न जाने कितने दिनों से इस गीत को ढूढ़ रहा था।

Unknown said...

सुंदर गीत

Archana Chaoji said...

सौभाग्य मिला है बंगाल मे कुछ समय रहने का....यादे तज हो आई ये गीत सुनकर....शुक्रिया...

संतोष त्रिवेदी said...

मदहोश करने वाली आवाज़,हालाँकि मतलब नहीं समझ पा रहा हूँ !