Wednesday, March 29, 2017

शिम्बोर्स्का बता रही हैं कविता कैसे लिखें और कैसे न लिखें

कविता कैसे लिखें और कैसे न लिखें

प्रस्तुति - शिवप्रसाद जोशी

पोलैंड के अख़बार लिटरेरी लाइफ़ में नोबेल पुरस्कार विजेता विख्यात कवि, विस्वावा शिम्बोर्स्का जुलाई 1923 - फ़रवरी 2012) का एक कॉलम छपता था जिसमें वो नवोदित लेखकों, कवियों, अनुवादकों और सामान्य पाठकों के जवाब देती थीं. वे कविता लिखने के बारे में पूछते और अपनी कविता भेजकर राय भी जानना चाहते. अपने अंदाज़ में शिम्बोर्स्का  उनको जवाब देती थीं. शिम्बोर्स्का  के जवाबों का एक संकलन पोएट्री फ़ाउंडेशन डॉट ऑर्ग ने तैयार किया था. पोलिश से अंग्रेज़ी में इनका अनुवाद क्लेयर कावानाघ ने किया है. वहीं से इसे साभार, हिंदी में अनूदित किया गया है. विभिन्न मशहूर अनुवादों में शिम्बोर्स्का  हिंदी पाठकों और लेखकों के बीच पहले से लोकप्रिय है, हिंदी में पहली बार ये उनका एक अलग पहलू पेश है.  

अंग्रेज़ी अनुवाद में शिम्बोर्स्का  से सवाल पूछने वालों के नाम हैं, कुछ के इनीशियल्स हैं, सभी पौलेंड के लोग हैं. सुविधा के लिए सिर्फ शिम्बोर्स्का  के जवाबों को सवाल दर सवाल रखा गया है. शिम्बोर्स्का  के सुझाव, ऑस्ट्रियाई मूल के जर्मन कवि राईनर मारिया रिल्के की उन चिट्ठियों की याद दिलाते हैं जो उन्होंने अपने प्रशंसक एक युवा कवि को बतौर जवाब भेजी थीं और जो लेटर्स टू द यंग पोएटनाम से किताब के रूप में विश्वविख्यात है. हिंदी में कबाड़ख़ाना में ये पत्र उपलब्ध हैं और किताब के रूप में भी आए हैं.



तुमने लिखा, ‘मैं जानता हूं कि मेरी कविताओं में कई कमियां हैं, लेकिन उससे क्या, मैं रुकने वाला नहीं और न ही उन्हें ठीक करूंगा.ऐसा क्यों कह रहे हो, प्यारेशायद इसलिए कि तुम कविता को बहुत पवित्र मानते हो या तुम उसे बहुत हल्के में लेते होदोनों ही तरीक़े ग़लत हैं. और ज़्यादा ख़राब बात ये है कि वे नौसिखिए कवि को अपनी रचनाओं पर काम करने की ज़रूरत से वंचित कर देते हैं.

अनुवादक को सिर्फ़ टेक्स्ट के प्रति ही वफ़ादार नहीं रहना होगा. उसे कविता की समूची ख़ूबसूरती को उद्घाटित भी करना होगा, उसकी फ़ॉर्म को बरकरार रखते हुए और उसकी आत्मा और शैली को यथासंभव पूरा का पूरा बचाए रखते हुए.

पंख निकाल दो, धरातल पर आकर लिखने की कोशिश करो, क्या ऐसा कर सकती हो?”

तुम्हें नई कलम की ज़रूरत है. जो कलम तुम इस्तेमाल कर रहे हो वो बहुत गल्तियां करती हैं. ज़रूर विदेशी होगी.

तुम तुकबंदी में पूछती हो कि क्या ज़िंदगी सिक्के बनाती है. मेरी डिक्शनरी का जवाब ना में है.

तुम मुक्त छंद को ऐसे बरतते हो जैसे वो सबके लिए स्वच्छंद हो, सबके लिए मुफ़्त. लेकिन कविता (जो भी हम कहें) हमेशा एक खेल है, थी और रहेगी. और जैसा कि हर बच्चा जानता है, हर खेल के नियम होते हैं. फिर बड़े लोग ये बात क्यों भूल जाते हैं.

हर बोरियत का एक ख़ुश तबीयत के साथ वर्णन करो. कितनी सारी चीज़ें हो रही होती हैं जब कुछ भी नहीं हो रहा होता है.

तुम्हारी अस्तित्वपरक पीड़ाएं जल्द ही कमतर और निरर्थक हो जाती हैं. हमारे पासे पर्याप्त मायूसी और उदास गहराइयां हैं. हमारे प्यारे टॉमस मान (विख्यात जर्मन उपन्यासकार) ने कहा था, गहरे विचार ऐसे होते हैं जो हममें मुस्कान भर दें. तुम्हारी कविता महासागरपढ़ते हुए, हमें लगता है कि हम किसी उथले तालाब में हाथ पांव मार रहे हैं. तुम्हें अपने जीवन के बारे में ऐसे सोचना चाहिए कि वो एक बेमिसाल कमाल अनुभव तुम्हें हासिल हुआ है. फिलहाल तो हमारा यही सुझाव है.

हमारा एक सिद्धांत है कि बसंत के बारे में तमाम कविताएं  यहां स्वतः ही खारिज कर दी जाती हैं. कविता में ये विषय अब अस्तित्व में नहीं है. वैसे जीवन में ये अब भी मौजूद हैं. लेकिन ये दोनों अलग अलग मुआमले हैं.

स्पष्ट कहने का डर, हर चीज़ को मेटाफ़र बना देने की निरंतर, तक़लीफ़ भरी कोशिशें, और हर पंक्ति में ख़ुद को कवि साबित करने की एक अंतहीन कामनाः ये वे उद्विग्नताएं हैं जो हर उभरते कवि को घेरती हैं. लेकिन वे लाइलाज नहीं हैं, अगर वक़्त रहते पकड़ ली जाएं.

तुमने तो तीन छोटी कविताओं में ही बहुत आला दर्जे के वैसे शब्द ठूंस दिए जितने कि अधिकांश कवि अपनी पूरी ज़िंदगी में इस्तेमाल कर पाते हैं. मातृभूमि, सत्य, आज़ादी, न्याय. ये शब्द सस्ते में नहीं आते हैं. इनमें असली ख़ून बहता है जिसे स्याही से फ़र्ज़ी नहीं किया जा सकता.

रिल्के ने युवा कवियों को सावधान किया था कि वे अतिरंजत विषयों से बचें क्योंकि वे सबसे कठिन होते हैं और महान कलात्मक परिपक्वता की मांग करते हैं. रिल्के ने सुझाया था कि नये कवि वो सब लिखें जो वे अपने आसपास देखते हैं, वे रोज़ाना कैसे रहते हैं, क्या खो गया है, क्या मिल गया है. वो उन्हें प्रेरित करता था कि हमारे इर्दगिर्द उपस्थित चीज़ों को अपनी कविता में लाएं, अपने सपनों से छवियां लाएं, याद में पड़ी चीज़ों को उभारें. रिल्के ने कहा था, अगर रोज़मर्रा का जीवन तुम्हें कमतर लगता है, तो जीवन को मत कोसो. तुम ख़ुद कुसूरवार हो. तुम उसकी संपदा को ग्रहण करने लायक पर्याप्त कवि तो बने ही नहीं हो. ये सलाह तुम्हें नीरस, साधारण और थोड़ा कड़वा भी लग सकती है. इसीलिए तो हमने अपने बचाव में विश्व साहित्य के सबसे गूढ़ कवियों में से एक को याद किया है- और देखो उसने किस तरह उन चीज़ों की प्रशंसा की है जो कथित रूप से साधारण हैं.

एक वाक्य में कविता की परिभाषा ! अच्छा, ठीक है. हम कम से कम पांच सौ परिभाषाएं जानते हैं लेकिन उनमें से कोई भी हमें सटीक या पर्याप्त नहीं लगती. हर परिभाषा अपने समय के स्वाद को अभिव्यक्त करती है. जो ये अपने अंदर धंसा हुआ शंकावाद होता है न, ये हमें हमारी अपनी परिभाषा गढ़ने की कोशिश से दूर रखता है. लेकिन हमें कार्ल सैंडबुर्ग की प्यारी उक्ति याद हैः कविता, समंदर के एक जीव की डायरी है जो ज़मीन पर रहता है और उड़ान भरने की चाहत रखता है. हो सकता है इन्हीं दिनों वो ऐसा कर गुज़रे.” 

हम ऐसे कवि से कुछ ज़्यादा की अपेक्षा करते हैं जिसने अपनी तुलना इकेरस से की है लेकिन अपनी भेजी लंबी कविता से उसकी ये तुलना मेल नहीं खाती. श्रीमान आप इस तथ्य पर ग़ौर करना भूल गए कि आज का इकेरस, किसी प्राचीन समय से नहीं, एक अलग किस्म के लैंडस्केप से उभरता है. वो राजमार्गों को कारों और ट्रकों से भरा हुआ देखता है, वहां हवाईअड्डे, रनवे, विशाल शहर, फैलते जाते आधुनिक बंदरगाह और अन्य वास्तविक दुश्वारियां हैं. क्या कभी किसी समय उसके कान की बगल से कोई जेट धड़धड़ाता हुआ न गुज़रा होगा.

अगर तुम एक मंझे हुए मोची बनना चाहते हो, तो इंसानी पांव के बारे में ही सोचकर ख़ुश होना काफ़ी नहीं. तुम्हें अपने चमड़े, अपने औजार के बारे में भी जानना होगा. तुम्हे एक सही पैटर्न चुनना होगा.......कलात्मक रचना का भी यही सच है.

गद्य में तुम्हारी कविताएं एक महान कवि की छवि में सनी हुई हैं जो अपनी उल्लेखनीय रचनाएं शराब के एक उन्माद में रचता है. हम एक मोटा सा अनुमान लगा सकते है कि तुम्हारे ज़ेहन में कौन रहा होगा, लेकिन हमारे लिए ये नाम की बात नहीं. बल्कि ये एक भ्रामक और गलत धारणा है कि शराब लेखन की कार्रवाई में मददगार होती है, या कल्पनाशीलता को विकसित करती है, तर्क को धारदार बनाती है और मदमस्त कवि चेतना के प्रस्फुटन में अन्य दूसरे उपयोगी कार्य कर लेता है. मेरे प्यारे मिस्टर के, न तो ये कवि, न ही हमसे व्यक्तिगत रूप से परिचित कोई कवि, न ही वास्तव में कोई और कवि- शराब के अछूते प्रभाव में कुछ महान लिख सका है. सभी अच्छी रचनाएं एक दर्द के साथ, एक दर्द भरे संयम के साथ, और ज़ेहन में किसी ख़ुशगवार ठकठकाहट के बिना ही लिखी गयी हैं. विसपियान्सकी ने कहा था, ‘मेरे पास हमेशा विचार रहते हैं लेकिन वोद्का लेने के बाद मेरा सर दुखने लगता है.अगर कवि पीता है तो वो एक कविता और अगली कविता के बीच में ऐसा करता है. ये एक ठोस सच्चाई है. अगर शराब अच्छी कविता को प्रमोट करती, तो हमारे देश का हर तीसरा नागरिक कम से कम होरेस तो बन ही जाता....बहरहाल....हमें उम्मीद है कि आप बरबादियों से पूरी तरह बचकर निकल आएंगें.

तुम शायद गद्य में प्रेम करना सीख सकती हो.

जवानी किसी की ज़िंदगी में वाकई एक लुभावना समय होता है. अगर जवानी की कठिनाइयों में लिखने की चाहतों को भी शुमार कर लिया जाए, तो इससे निबाह करने का एक अभूतपूर्व मजबूत गठन भी करना होगा. इस गठन का हिस्सा होंगे:  एक ज़िद, एक धुन, व्यापक पढ़ाई, जिज्ञासा, पर्यवेक्षण, अपने से दूरी, दूसरों के प्रति संवेदनशीलता, एक आलोचक मन, ह्यूमर की तमीज़, और दुनिया के बने रहने का (नंबर एक) एक पक्का यकीन और (नंबर दो) कि उसकी क़िस्मत पहले से अच्छी है. जिन कोशिशों का संकेत तुमने दिया हैं उनसे मालूम पड़ता है कि तुम्हारी सिर्फ़ लिखने की कामना है और वे सारी बातें जो ऊपर कही गई हैं वे उसमें शामिल नहीं हैं. तुम्हारा काम तय है, पहले उसे करो.

जो कविताएं तुमने भेजी हैं उससे लगता है कि तुम कविता और गद्य के बीच बुनियादी फ़र्क को समझने में नाकाम रहे हो. मिसाल के लिए, ‘यहांशीर्षक वाली कविता एक कमरे और उसके फ़र्नीचर का महज़ एक शालीन सा वृतांत है. गद्य में ऐसे विवरण एक ख़ास कार्य करते हैं- वे आने वाले ऐक्शन के लिए स्टेज तैयार करते हैं. जिस पल दरवाजा खुलेगा कोई अंदर दाख़िल होगा और कुछ होगा. कविता में विवरण को ही घटित होना होता है. हर चीज़ अहम हो जाती है, अर्थपूर्णः छवियों का चुनाव, उनकी जगह, शब्दों मे वे क्या आकार लेगें- सब तय करना होता है. एक साधारण घर का विवरण हमारी आंखों के सामने उस कमरे की खोज बन जाना चाहिए. और उस विवरण में निहित भावना को पाठकों से साझा करना चाहिए. वरना, गद्य गद्य ही रहेगा, तुम अपने वाक्यों को कविता की लाइनों में तब्दील करने की चाहे जितनी मशक्कत कर लो. और इसमें और भी ख़राब बात ये होती है कि हासिल कुछ नहीं निकलता यानी ऐसा करने के बाद भी कुछ नहीं होता.

इस ग्रह की भाषा में  क्योंसबसे महत्त्वपूर्ण शब्द है और शायद तमाम अन्य गैलेक्सियों में ही शायद यही होगा.


2 comments:

Ek ziddi dhun said...

अशोक भाई, शुक्रिया। कई बार पढ़ी यह पोस्ट।
और शिव कमाल के शख्स हैं।

Unknown said...

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